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रिक्त सीट पर छह महीने में उपचुनाव कराना है जरूरी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
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रिक्त सीट पर छह महीने में उपचुनाव कराना है जरूरी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
मोदी सरनेम (Modi Surname Case) मानहानि मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) द्वारा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद अब गेंद चुनाव आयोग (Election Commission) के पाले में है. इसके तहत चुनाव आयोग अगले छह महीने के भीतर केरल के वायनाड (Wayanad) लोकसभा क्षेत्र में कभी भी उपचुनाव (Bypoll) ) की घोषणा कर सकता है. लोक प्रतिनिधित्व (Representation of the People Act) अधिनियम 1951 की धारा 151ए चुनाव आयोग को संसद (Parliament) और राज्य विधानमंडल के सदन में होने वाली आकस्मिक रिक्तियों को उपचुनावों के माध्यम से रिक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर भरने के लिए निर्देशित करती है. बशर्ते खाली हुई सीट के संबंध में संसद या विधानमंडल के कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष या उससे अधिक हो.
सूरत अदालत के फैसले के खिलाफ अपील का विकल्प खुला
लोकसभा सचिवालय के राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य ठहराते नोटिफिकेशन के मुताबिक वायनाड सीट 23 मार्च को खाली हो गई थी. इसके बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151ए के अनुसार चुनाव आयोग को 22 सितंबर 2023 तक निर्वाचन क्षेत्र से एक नए सांसद का चुनाव करने के लिए उपचुनाव कराना अनिवार्य है. उपयुनाव कराने इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल से अधिक का समय बाकी है. वैसे भी उपचुनाव को टाला नहीं किया जा सकता भले ही निर्वाचित सांसद के पास केवल अल्पावधि हो. संयोग से चुनाव आयोग को वायनाड उपचुनाव की घोषणा करने से फिलवक्त रुकना पड़ सकता है. यहां तक कि अगर आयोग इसकी घोषणा करता है, तो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने से पहले अदालत द्वारा राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की स्थिति में चुनाव रद्द करना पड़ेगा. गौरतलब है कि राहुल गांधी के पास सूरत जिला अदालत के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील का विकल्प अभी खुला हुआ है.
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इसी साल लक्षद्वीप से सांसद फैजल संग भी ऐसा ही हुआ
गौरतलब है कि कुछ इस तरह का मामला लक्षद्वीप के संसद सदस्य मोहम्मद फैजल की अयोग्यता के हालिया उदाहरण में देखा गया था. फैजल को 11 जनवरी 2023 को एक हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराया गया था. दोषसिद्धि के आधार पर आरपी अधिनियम की धारा 8 (3) के आधार पर लोकसभा की सदस्यता तत्काल और स्वत: अयोग्यता मानी जाती है. इस कड़ी में सजा के दो दिन बाद लोकसभा सचिवालय ने 11 जनवरी से फैजल की अयोग्यता को अधिसूचित कर दिया. चुनाव आयोग ने तत्काल उपचुनाव की घोषणा की और इसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों से जोड़ दिया. हालांकि उनकी सजा पर केरल उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी, जिससे चुनाव आयोग को उप चुनाव अधिसूचना निलंबित करनी पड़ी. दिलचस्प बात यह है कि केरल उच्च न्यायालय की राहत ने फैजल की लोकसभा सदस्यता को प्रभावी ढंग से बहाल कर दिया, फिर भी वह अभी भी सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकते हैं.
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