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अब केरल में बढ़ सकती हैं कांग्रेस की मुसीबतें, पार्टी के कई बड़े नेता खफा

देश की सबसे पुरानी और मजबूत पार्टी कांग्रेस अब सिमट सी गई है. एक तरफ लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस लगातार हार का सामना कर रही है. वहीं दूसरी अब उसके पास जो राज्य की सत्त बची है वो ही डगमगा रही है.

Updated on: 15 Jun 2021, 03:13 PM

नई दिल्ली:

देश की सबसे पुरानी और मजबूत पार्टी कांग्रेस अब सिमट सी गई है. एक तरफ लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस लगातार हार का सामना कर रही है. वहीं दूसरी अब उसके पास जो राज्य की सत्त बची है वो ही डगमगा रही है. राजस्थान से लेकर पंजाब में कांग्रेस अपनी ही पार्टी के अंदर हो रही गुटबाजी से परेशान है. इन दोनों राज्यों में मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब केरल में भी कांग्रेस की मुसीबत बढ़ने वाली है.  बताया जा रहा है कि केरल में पार्टी असंतोषकी स्थिति का सामना कर रही है. इसके पीछे केरल कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेताओं की असंतुष्टी है. कहा जा रहा है कि केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हाईकमान के ओर से लगातार नजरअंदाज किए जाने से अंसतुष्ट है.

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बता दें कि प्रदेश में आए चुनाव नतीजों में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष ए. रामचंद्रन को पद से हटा दिया था. इसके अलावा विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला को भी हटाया गया है.

चेन्नीथला के समर्थकों ने आरोप लगाया कि उन्हें सम्मानजनक एग्जिट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का भी समय नहीं दिया गया. उनका कहना है कि नए राज्य इकाई प्रमुख के नाम और विपक्षी नेता की घोषणा से पहले उनसे सलाह तक नहीं ली गई थी. वीडी सतीसन नए विपक्षी नेता हैं, जबकि के सुधाकरन को केरल कांग्रेस का नया प्रमुख बनाया गया है.

चेन्नीथला खेमे के नेताओं का कहना है कि पार्टी के ज्यादातर विधायक चेन्नीथला को ही अपना नेता देखना चाहते थे. हालांकि एक अन्य नेता ने इसे गलत करार दिया और कहा कि अधिकतर विधायक बदलाव के पक्ष में थे. इस संकट के बाद प्रदेश प्रभारी तारिक अनवर ने विधायकों, सांसदों और संगठन के नेताओं से बातचीत की है. प्रदेश में चेन्नीथला की जगह पर अब वीडी सतीशन को नेता विपक्ष बनाया गया है. इसके अलावा के. सुधाकरण को नेता विपक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. वह कॉलेज में सीएम पिनराई विजयन के जूनियर रहे हैं. 

केरल में कांग्रेस पार्टी हमेशा से दो गुटों में बंटी रही है इनमें से एक गुट के करुणाकरण का है जबकि दूसरा गुट ए.के. एंटनी का है साल 2000 के बाद, करुणाकरण गुट का नेतृत्व चेन्निथला ने किया और एंटनी गुट का नेतृत्व दो बार पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने किया ये गुटबंदी आज भी जारी है

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कांग्रेस को पंजाब और राजस्थान में मुद्दों को हल करने के लिए कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि युवा नेता अपने हक की मांग कर रहे हैं, जबकि उसे अगले साल उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड सहित प्रमुख चुनावों की तैयारी करनी है.