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लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत (फाइल फोटो)
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लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत (फाइल फोटो)
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति में सियासी अड़चनें कम होती नहीं दिख रही हैं। कांग्रेस ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने कभी भी सेना के नाम पर वैसी सियासत नहीं की, जैसी भाजपा करती है। कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्या ने कहा कि उनकी पार्टी जानती है कि क्या करना चाहिए या क्या नहीं। केंद्र सरकार को रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ रहा है।
सरकार ने रविवार को इस बाबत कहा कि रावत ही इस पद के लिए सबसे उपयुक्त हैं। वहीँ वरिष्ठता की परंपरा को नजरअंदाज करने का मसला भी तूल पकड़ता जा रहा है। इस मसले पर विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेर रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल रावत को सेनाध्यक्ष नियुक्त कर पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बख्शी और सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी.एम. हारिज की वरिष्ठता की अनदेखी की गई है। बख्शी और हारिज दोनों ही रावत के मुकाबले सीनियर है।
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सितम्बर महीने में जब उप-सेनाध्यक्ष का पद खाली हुआ था तब भी लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी को उस पद पर नियुक्त नहीं किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल रावत को दक्षिणी कमान से लाया गया था।
मंत्रालय में एक सूत्र ने कहा, 'उत्तर में सैन्य बल के पुनर्गठन, पश्चिम से लगातार जारी आतंकवाद और छद्म युद्ध तथा पूर्वोत्तर में स्थिति समेत उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए वह (रावत) लेफ्टिनेंट जनरलों में सबसे उपयुक्त पाए गए।'
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से शुक्रवार को पूछा गया था कि क्या वरिष्ठता के क्रम तोड़े जाएंगे? इस पर उन्होंने रहस्यमयी ढंग से कहा, 'वरिष्ठता के क्रम का फैसला लोगों द्वारा किया जाता है।'
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लेफ्टिनेंट जनरल रावत ने देहरादून स्थित भारतीय रक्षा अकादमी से दिसंबर, 1978 में 11 गोरखा राइफल के पांचवें बटालियन में कमीशन प्राप्त किया था। उन्हें 'सोर्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया था।
वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इन्फैंट्री बटालियन की कमान, राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और कश्मीर घाटी में एक इंफैंट्री डिविजन का नेतृत्व कर चुके हैं। रावत के पास उंचाई पर होने वाले युद्ध और विद्रोह रोधी अभियानों का लंबा अनुभव है।
नाम नहीं बताने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि लड़ाई वाले इलाके में रावत ने लंबे समय तक सेवाएं दी हैं और विगत तीन दशकों में उन्होंने भारतीय सेना में विभिन्न कार्यात्मक स्तरों पर काम किया है।
सूत्र ने कहा, 'उन्होंने पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी), चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास और पूर्वोत्तर में विभिन्न अभियानों का दायित्व संभाला है।'
सेनाध्यक्ष की नियुक्ति के तुरंत बाद कांग्रेस ने सरकार द्वारा वरिष्ठताक्रम की अनदेखी पर सवाल खड़े किए। सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग और वायु सेना प्रमुख अरुप राहा के अवकाश प्राप्त करने से 13 दिन पहले रक्षा मंत्रालय ने शनिवार की रात अगले सेनाध्यक्ष और अगले वायु सेना प्रमुख के नामों की घोषणा की।
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एयर माार्शल बी.एस. धनोआ अगले वायु सेना प्रमुख होंगे। वह साल 1978 में वायुसेना में शामिल किए गए थे। वह विभिन्न प्रकार के लड़ाकू जहाज उड़ा चुके हैं और एक दक्ष फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर हैं। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान एक लड़ाकू स्क्वोड्रन की कमान संभाली थी और पहाड़ी इलाकों में रात्रि हवाई हमले के लिए कई उड़ानें भरी थीं।
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Source : IANS