बुधवार की रात भारतीय सेना के स्पेशल कमांडो दस्ते ने एलओसी के उसपार करीब दो किलीमीटर अंदर तक घुसकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बने 7 आतंकी कैंपो और करीब 35 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। लेकिन ये पहली बार नहीं जब पाकिस्तान की तरफ से हुए घुसपैठ का भारतीय सेना ने इतने साहस से जवाब दिया है ।
आज से ठीक 17 साल पहले मई-जून के महीने में देश की सबसे ऊंची सीमाओं में से एक करगिल में पाकिस्तान ने आतंकियों के सहारे भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वार शुरू कर दिया था जिसमें प्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तानी सेना भी उनकी मदद कर रही थी लेकिन फिर भी ना सिर्फ देश के सबसे ऊंचे और दुर्गम चौकी पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमाया बल्कि हजारों की संख्याओं में घुसपैठियों और पाकिस्तानी सेना के जवानों को भी मार गिराया था।
आखिर क्या हुआ था करगिल में
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से लेह को जोड़ने वाले एनएच 1 पर पड़ने वाले सबसे ऊंची चौकियों में से एक टाइगर हिल, तोलोलिंग पर ज्यादा बर्फबारी होने के कारण जब सेना अपना पोस्ट छोड़कर नीचे आ गई थी की तो घुसपैठियों और पाकिस्तानी सेना ने इन चौकियों सहित करगिल पोस्ट पर कब्जा कर लिया था।
जब भारतीय सेना ने इसका विरोध करते हुए उन्हें ललकारा तो पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों ने भारतीय सेना पर हमला कर दिया जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी वायुसेना की मदद से दुश्मनों पर हमला किया और एक महीने के भीतर ही पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों को भारतीय पोस्ट छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया।
इस अघोषित युद्ध में करीब 5000 हजार घुसपैठियों और तीस हजार भारतीय जवानों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमें हजारों पाकिस्तान सेना के जवान और घुसपैठियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
भारत पाकिस्तान के बीच तीन बार घोषित युद्ध हो चुका है जिसमें तीनों बार पाकिस्तान को भारत से मुंह की खानी पड़ी है लेकिन 1999 में हुए करगिल वार को पाकिस्तानी सेना युद्ध नहीं मानती है फिर भी उसे भारत से हार का ही सामना करना पड़ा और अच्छी खासी संख्या में अपने जवानों को भी खोना पड़ा था। करगिल वार के बाद भारत सरकार ने रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी कर दी थी।
Source : News Nation Bureau