चुनाव हारते ही छोटे बच्चे की तरह विलाप करता है विपक्ष : राम कदम
निर्वाचन आयोग बिहार में गुपचुप तरीके से लागू कर रहा एनआरसी : असदुद्दीन ओवैसी
Kerala Bumper Lottery: केरल लॉटरी में पहला पुरस्कार एक करोड़ रुपये, जानें क्या है लिस्ट
मुस्लिम बॉयफ्रेंड संग लिव इन में रह रही ये एक्ट्रेस, कर चुकी है सुसाइड करने की कोशिश
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की : दयाशंकर सिंह
IND vs ENG: जूनियर टीम ने लिया सीनियर टीम का बदला! इंग्लैंड को उसके घर में भारत ने 6 विकेट से हराया
रांची के जगन्नाथपुर में 334 वर्ष की ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार निकली रथयात्रा, उमड़ा भक्तों का सैलाब
जगन्नाथ रथयात्रा पूरे विश्व के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव : धर्मेंद्र प्रधान
राशिफल का ऐसा इस्तेमाल! महिला हो गई मालामाल, एक झटके में मिले 43 लाख रुपए...जानें कैसे

नागरिकता देने में राज्‍यों की कोई भूमिका नहीं, कपिल सिब्‍बल-खुर्शीद-हुड्डा के बाद अब शशि थरूर बोले

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका है.

author-image
Sunil Mishra
New Update
नागरिकता देने में राज्‍यों की कोई भूमिका नहीं, कपिल सिब्‍बल-खुर्शीद-हुड्डा के बाद अब शशि थरूर बोले

अब शशि थरूर ने भी माना, नागरिकता देने में राज्‍यों की कोई भूमिका नहीं( Photo Credit : File Photo)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका है. सांसद ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के क्रियान्वयन में राज्यों की अहम भूमिका होगी क्योंकि केंद्र के पास मानव संसाधन का अभाव है, ऐसे में उनके अधिकारी ही इस काम को पूरा करेंगे. थरूर ने कहा, ‘‘यह एक राजनीतिक कदम अधिक है. नागरिकता संघीय सरकार ही देती है और यह स्पष्ट है कि कोई राज्य नागरिकता नहीं दे सकता, इसलिए इसे लागू करने या नहीं करने से उनका कोई संबंध नहीं है.’’

Advertisment

यह भी पढ़ें : मोदी सरकार पर चिदंबरम का बड़ा हमला, कहा- सत्ता में बैठे लोग असली 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' हैं

उन्होंने कहा, ‘‘वे (राज्य) प्रस्ताव पारित कर सकते हैं या अदालत जा सकते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे क्या कर सकते हैं? राज्य सरकारें यह नहीं कह सकतीं कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगी, वे यह कह सकती हैं कि वे एनपीआर-एनआरसी को लागू नहीं करेंगी क्योंकि इसमें उनकी अहम भूमिका होगी.’’ थरूर के पार्टी सहयोगी कपिल सिब्बल ने पिछले सप्ताह यह कह कर बवाल मचा दिया था कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है. बाद में, उन्होंने इसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया और स्पष्ट किया कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं है.

थरूर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीएए पर रोक लगाने का आदेश नहीं देने से इसके खिलाफ प्रदर्शन ‘‘कतई कमजोर नहीं’’ हुए हैं. उन्होंने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने के शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकता के संबंध में धर्मों का नाम लेकर इस कानून ने संविधान का उल्लंघन किया है... लेकिन पांच न्यायाधीशों की पीठ कम से कम सभी तर्कों को सुनेगी और इसके गुणदोष पर विचार करेगी. इस मौलिक असहमति को सुलझाने का यही एकमात्र तरीका है.’’

यह भी पढ़ें : 'मैं मां हूं, महान नहीं बनना चाहती', निर्भया की मां ने फिल्‍म अभिनेत्री कंगना रनौत की बात का किया समर्थन

‘टाटा स्टील कोलकाता लिटरेरी मीट’ में भाग लेने यहां आए थरूर ने कहा, ‘‘इस कानून को लागू नहीं होने देने के दो ही तरीके हैं- पहला, यदि उच्चतम न्यायालय इसे असंवैधानिक घोषित कर दे और रद्द कर दे और दूसरा, यदि सरकार स्वयं इसे निरस्त कर दे. अब, दूसरा विकल्प व्यवहार्य नहीं है क्योंकि भाजपा अपनी गलतियों को कभी स्वीकार नहीं करेगी.’’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शन मुख्य रूप से स्वत: शुरू हुए हैं और यदि सरकार यह स्पष्ट करती है कि किसी धर्म को निशाना नहीं बनाया जा रहा है तो कई लोगों के पास प्रदर्शन करने का कारण नहीं बचेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार को सीएए में से धर्म संबंधी खंड हटाने के अलावा भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है.

थरूर ने कहा, ‘‘उसे यह कहने की जरूरत है कि हम जन्म का स्थान और नागरिकता के बारे में सवाल नहीं पूछेंगे और एनआरसी तैयार नहीं करेंगे.’’ उन्होंने देश में विपक्षी दलों के बारे में कहा कि भारतीय राजनीति में उनका एकजुट होना कभी आसान नहीं रहा है क्योंकि कई दलों का केंद्र में समान रुख हो सकता है लेकिन राज्यों में उनका रुख बदल सकता है. थरूर ने कहा, ‘‘मेरी राय में, देश में विभाजित मोर्चे के बजाए एकजुट मोर्चा पेश करना बेहतर रहेगा.’’ पार्टी के पुनरुत्थान में मौजूदा नेतृत्व की भूमिका और गांधी परिवार के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि कांग्रेस किसी एक परिवार से भी बढ़कर है और यह सुसंगत विचारों का एक समूह है.

यह भी पढ़ें : महिला कर्मचारी गई थी आर्थिक गणना करने, लोगों ने CAA के बहाने जानें क्‍या किया

उन्होंने कहा, ‘‘हां, हम जब लोगों से कांग्रेस के लिए वोट देने को कहते हैं तो कुछ लोग परिवार के लिए वोट देते हैं, कुछ लोग व्यक्तियों के लिए मतदान करते हैं, लेकिन इससे भी बढ़कर वे कुछ सिद्धांतों एवं प्रतिबद्धताओं के लिए मतदान करते हैं.’’ थरूर ने कहा कि कांग्रेस समावेशिता के लिए खड़ी है और यही भाजपा की ‘‘विभाजनकारी राजनीति’’ का एकमात्र व्यवहार्य एवं विश्वसनीय विकल्प है.

Source : Bhasha

caa Shashi Tharoor kapil sibbal Citizenship state assembly salman khursid Bhupendra Singh Huda
      
Advertisment