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सिंधिया के बाद MP की कैबिनेट मंत्री ने भी ट्विटर से हटाया कैबिनेट मंत्री पद

मध्य प्रदेश की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं हो रहा है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस का नाम हटा लिया है.

Updated on: 25 Nov 2019, 04:50 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं हो रहा है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस का नाम हटा लिया है. अब उनके बाद मध्य प्रदेश की कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से अपना कैबिनेट मंत्री का स्टेटस हटा लिया है. इमरती देवी को ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा समर्थक मना जाता है.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस का नाम हटा दिया है. उन्होंने हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी. इससे पहले भी वह कई बार प्रधानमंत्री की तारीफ कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही वह कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस का नाम हटाकर समाजसेवी और क्रिकेटप्रेमी लिखा है. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे हैं. कई बार वह अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं.

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सिंधिया पिछले 4 महीने से लगातार हैं जनता के संपर्क में है. हर सभा और कार्यक्रम में कहते हैं कि आप मेरे परिवार के सदस्य हैं और मैं नेता, राजनेता नहीं समाज सेवक हूं. इसी बीच सिंधिया ने अपने ट्विटर से कांग्रेस हटाकर समाज सेवक लिखा है. बता दें कि सिंधिया समर्थकों ने पार्टी हाईकमान से उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग की थी.

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कमलनाथ राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही अध्यक्ष पद को छोड़ने की पेशकश करते रहे हैं. लोकसभा चुनाव के बाद भी वे पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं. नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी में लगातार मंथन चल रहा है. नए प्रदेशाध्यक्ष की कतार में तमाम नेता हैं, मगर उनमें से सबसे बेहतर और सर्व स्वीकार्य नेता की खोज हो रही है. कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपना चाहता है और वह इसके लिए राज्य के प्रमुख बड़े नेताओं जिनकी राय लेना चाहता है, ताकि यह निर्णय सर्वमान्य होने का संदेश कार्यकर्ताओं के बीच जाए.