बीजेपी नेता ने कहा- सत्ता में आने पर बंगाल में भी जारी करेंगे एनआरसी, अवैध नागरिकों को भेजेंगे बांग्लादेश
पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि राज्य में पार्टी सत्ता में आती है तो यहां भी असम के तरह ही एनआरसी जारी की जाएगी।
कोलकाता:
असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में 40 लाख लोगों की नागरिकता साबित नहीं होने के बाद देश में चौतरफा सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है।
पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि राज्य में पार्टी सत्ता में आती है तो यहां भी असम के तरह ही एनआरसी जारी की जाएगी।
सोमवार को जारी हुए असम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट का समर्थन करते हुए दिलीप घोष ने कहा, 'कुछ नेता घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं क्योंकि उनकी वोट बैंक की राजनीति खत्म होने जा रही है।'
सोमवार को जारी असम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट के मुताबिक आवेदन किए कुल 3.29 करोड़ लोगों में 2,89,83,677 लोगों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में शामिल किया गया। वहीं 40 लाख लोगों को दोबारा आपत्ति जताने और दावेदारी का मौका मिलेगा।
दिलीप घोष ने कहा, 'अगर बीजेपी बंगाल में सत्ता में आती है तो बंगाल में भी एनआरसी को जारी करेगी। हम अवैध नागरिकों को बांग्लादेश भेजेंगे। मुश्किल दिन आने वाले हैं, हम बंगाल में किसी भी अवैध प्रवासी को बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि जो लोग अवैध प्रवासियों को समर्थन करेंगे उन्हें देश से बाहर निकाला जाएगा।
दिलीप घोष ने कहा, 'असम में एनआरसी को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लागू किया गया था। कांग्रेस ने ही एनआरसी का प्रस्ताव लाया था। अब वह इसके खिलाफ बोल रही है।'
उन्होंने यह भी कहा, 'जिनका नाम अंतिम ड्राफ्ट में नहीं है वे संशोधन के लिए अपील कर सकते हैं। लेकिन हम अपने देश की सुरक्षा और अखंडता से कभी समझौता नहीं करेंगे।'
दिलीप घोष का यह बयान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी के बाद आया है। ममता ने कहा था कि बीजेपी एनआरसी के मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति कर रही है और असम से बंगाली लोगों को निकालने की जबरन कोशिश कर रही है।
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ममता बनर्जी ने कहा था, 'जिन लोगों के पास आधार कार्ड और पासपोर्ट हैं उनके नाम भी ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है। सरनेम के आधार पर भी लोगों के नाम हटाए गए हैं। क्या सरकार जबरन निष्कासन की कोशिश कर रही है?'
ममता बनर्जी ने कहा था, 'लोगों को एक गेम प्लान के तहत अलग किया जा रहा है। हम चिंतित हैं क्योंकि लोगों को अपने देश में ही शरणार्थी बनाया जा रहा है। यह बंगाली बोलने वाले और बिहारियों को बाहर करने का प्लान है। इसका परिणाम हमारे राज्य में भी होगा।'
उन्होंने कहा, 'जिन 40 लाख लोगों का नाम ड्राफ्ट में नहीं है वे कहां जाएंगे? क्या केंद्र के पास उनके पुनर्वास की कोई योजना है? आखिरकार इससे बंगाल को ही कष्ट उठाना होगा। यह सिर्फ बीजेपी की वोट राजनीति है। गृह मंत्री से विनती है कि इस पर संशोधन लाएं।'
दिलीप घोष के बयान पर कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने कहा कि यह बीजेपी बंगाली विरोधी मानसिकता को दिखाती है।
बता दें कि एनआरसी मुद्दे को लेकर टीएमसी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल 2 अगस्त को असम का दौरा करेगी।
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