ट्रिपल तलाक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी टिप्प्णी के बाद इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक महिलाओं के साथ क्रूरता है।
अदालत ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। अदालत ने दो टूक कहा कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है। दो अगल-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनीत कुमार की एकलपीठ ने ट्रिपल तलाक को लेकर यह टिप्पणी की।
ट्रिपल तलाक के मामले को लेकर केंद्र सरकार और मुस्लिम संगठन आमने-सामने हैं। केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निजी धार्मिक मामलों में दखल करार दिया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद सोशल एक्टिविस्ट जाकिया सोमन ने कहा, 'मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करती हूं। यह सही है कि ट्रिपल तलाक संवैधानिक नहीं है और इसे निश्चित तौर पर खत्म किया जाना चाहिए।'
I welcome the verdict of Allahabad HC,its true that triple talaq is not constitutional and it must be abolished:Zakiya Soman,social activist pic.twitter.com/bnE3dNgBGq
— ANI (@ANI_news) December 8, 2016
वहीं मुस्लिम धर्म गुरु के आर फिरंगी महली ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि ट्रिपल तलाक असंवैधानिक है। अगर कुछ लोग कानून का गलत इस्तेमाल करते हैं तो आप उसके खिलाफ कार्रवाई करते हैं न कि कानून को खत्म कर देते हैं।
महली ने कहा, 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी फैसले का अध्ययन करेगी और फिर इसके खिलाफ अपील करेगी।' महली ने कहा, 'हम हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और लेकिन अगर फैसला हमें संतुष्ट नहीं करता है तो हमें इसके खिलाफ अपील करने का संवैधानिक अधिकार है।'
AIMPLB's legal committee will study the verdict and observation and then it’ll file its appeal against the said verdict: KR Firangi Mahali pic.twitter.com/dptxGMJq29
— ANI (@ANI_news) December 8, 2016
वहीं कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी ने कहा, 'मुझे इस बात से खुशी हो रह है कि मेरी मुस्लिम बहनों को और अधिक सुरक्षा और प्रतिष्ठा मिलेगी।' चौधरी ने कहा कि यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन मुझे अब खुशी है कि मेरी मुस्लिम बहनों को जिंदगी में और अधिकार मिलेंगे।
बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'देशश में शरिया कानून नहीं है वरना लोगों के हाथ और सिर काट दिए जाते। इसस फैसले से मुस्लिम समुदाय को फायदा होगा।'
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुकी ने कहा कि संविधान मुझे मेरे धर्म का पालन करने की आजादी देता है। उन्होंने कहा, 'यह कोर्ट की टिप्पणी है, न कि फैसला।' उन्होंने कहा कि इस्लाम महिला अधिकारों को लेकर दुनिया के प्रगतिशील धर्मों में से एक है। तलाक शरिया कानून का हिस्सा है और उसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए।
HIGHLIGHTS
- ट्रिपल तलाक पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद शुरू हुई सियासत
- टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड