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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद नॉर्थ-ईस्ट में उग्रवादियों के खिलाफ सेना करेगी रणनीति में बदलाव

सैन्य सूत्रों ने बताया कि सेना मुख्यालय मणिपुर में सेना की ओर से मृतकों की बढ़ती संख्या को लेकर 'बहुत चिंतित' है।

Updated on: 09 Sep 2018, 10:35 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेना लगातार 'अधिक सतर्कता' बरत रही है और इसी के मद्देनजर उग्रवाद से प्रभावित पूर्वोत्तर में अपनी उग्रवाद विरोधी रणनीति में सुधार करने पर विचार कर रही है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मणिपुर में कथित एक्स्ट्रा-जुडिशल किलिंग्स (न्यायेतर हत्याओं) के कई मामलों की जांच करने के सख्त आदेश दिए हैं, जिसके बाद सेना ज्यादा सतर्कता के साथ सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देने पर काम कर रही है।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि सेना मुख्यालय मणिपुर में सेना की ओर से मृतकों की बढ़ती संख्या को लेकर 'बहुत चिंतित' है। साथ ही वह राज्य में उग्रवादियों के खिलाफ अपने अभियान की तीव्रता में आई कमी को लेकर भी चिंतित है।

मणिपुर में 10 से ज्यादा बड़े उग्रवादी समूह सक्रिय हैं। सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अभियानों की रणनीति में सुधार करने के लिए पिछले महीने विस्तृत विचार-विमर्श किया। ऐसा लगता है कि AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स ऐक्ट) से संबंधित मामलों पर कोर्ट के निर्देशों के कारण 'अत्यधिक सतर्कता' बरती जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ महीनों में सीबीआई को मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित न्यायेतर हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों की विस्तृत जांच करने के निर्देश देते हुए कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में सीबीआई की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की थी। जांच में लग रहे बहुत ज्यादा वक्त को लेकर कोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर आलोक कुमार वर्मा को तलब किया था।

सूत्रों ने बताया कि कोर्ट के आदेश और सीबीआई की कार्रवाई के बाद मणिपुर में तैनात कुछ सैनिकों और अधिकारियों के बीच स्पष्ट बेचैनी है और इसलिए वे उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाने में अत्यधिक सतर्कता बरत रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 2017 में उग्रवादरोधी अभियानों में कुल 8 सैन्यकर्मी मारे गए और 26 घायल हो गए जबकि मारे गए उग्रवादियों की संख्या 3 थी।

सूत्रों ने बताया कि इस साल अगस्त तक सेना के नेतृत्व वाले अभियानों में केवल 3 उग्रवादी मारे गए जबकि 5 सैनिक शहीद हुए और 17 घायल हुए।

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1997 से लेकर अब तक पूर्वोत्तर में अभियानों में कुल 1,889 सैनिक मारे गए और 3,168 जवानों को गंभीर चोटें आईं जबकि इस दौरान मारे गए उग्रवादियों की संख्या 4,974 है।

एक अधिकारी ने कहा, 'करगिल लड़ाई में देश ने 527 सैनिक खोए और 1,363 सैनिक घायल हुए लेकिन पूर्वोत्तर में जान गंवाने वाले सैनिकों की संख्या देखें।'