जैसे-जैसे अफगानिस्तान में स्थिति लगातार विकसित हो रही है, काबुल में आने वाले शासन के स्वरूप और प्रकार को लेकर अनिश्चितता के संकेत बढ़ रहे हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग सरकार के कार्य करने के तरीके, विशेष रूप से वित्तीय संस्थानों और व्यापार और अर्थव्यवस्था के साथ उनके संबंधों के बारे में चिंतित हो रहे हैं।
यह स्थिति तालिबान के नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि चीन या यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की सहायता से आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और अराजकता का सामना करना पर्याप्त नहीं होगा।
देश की अर्थव्यवस्था का दीर्घकालिक निर्वाह भी एक समस्या होगी, क्योंकि अफगानिस्तान वित्तीय सहायता के लिए वस्तुत: पश्चिमी दाताओं पर निर्भर रहा है। 2020 में, विदेशी दाताओं ने 2021 से 2024 तक चार साल की अवधि के लिए अफगानिस्तान को नागरिक सहायता के तौर पर अनुमानित 12 अरब डॉलर का वादा किया था।
धन आवंटित करने का निर्णय प्रत्येक दाता देश में व्यवहार्यता और रिटर्न के संदर्भ में गहन बहस के बाद लिया गया था और इसके बाद ही उसकी मंजूरी दी गई थी। इस प्रकार सहायता हमेशा विभिन्न मामलों में सुपुर्दगी के लिए सशर्त होती है, जिसका मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की बहाली है। प्रभावी शासन और पारदर्शिता को भी इस मुद्दे को तय करने में महत्वपूर्ण कारकों के रूप में देखा जाता है।
संयोग से, 2021-2024 सहायता का आंकड़ा पिछले चार साल के चरण (2017 से 2020) की तुलना में कम है, दाता देशों के बीच धीमी गति से आत्मविश्वास की कमी के कारण, जिसमें अफगानिस्तान में सभी मोचरें पर प्रगति स्पष्ट है।
2017-2020 चरण के दौरान, विदेशी दानदाताओं ने 15.2 अरब अमरीकी डॉलर की राशि देने का वादा किया था। कुछ दाता देश इन सहायता आवंटन को मंजूरी देने के लिए इस तरह के कड़े आंतरिक तंत्र के साथ बंधे हैं कि दान के समग्र आंकड़े के प्रति वचनबद्धता करते हुए, वे वार्षिक आधार पर राशि जारी करते हैं, साथ ही साथ अफगान सरकार द्वारा की गई प्रगति को देखते हुए ही यह सब निर्धारित किया जाता है।
अमेरिका ने अफगानिस्तान के प्रति अपनी विशेष प्रतिबद्धता के साथ वर्ष 2021 के लिए नागरिक सहायता के रूप में 60 करोड़ डॉलर की राशि देने का वादा किया था, जिसमें से वर्ष के पहले भाग में 30 करोड़ डॉलर की राशि प्रदान की गई थी। अफगानिस्तान में अमेरिका का लगातार योगदान रहा है और हाल के दिनों में आम तौर पर अफगानिस्तान को नागरिक सहायता के तौर पर हर साल 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए हैं। सहायता को अंतिम रूप देने को अमेरिकी सीनेट में भी गंभीर जांच का सामना करना पड़ा है।
यह अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में बने रहने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का एक कारण रहा है। अफगानिस्तान से निपटने के दौरान अमेरिका की ओर से बेबसी और आत्मसमर्पण की भावना स्पष्ट है।
इस पृष्ठभूमि में और अफगानिस्तान में शासन और पारदर्शिता के मामले में स्थिति अनिश्चित होने के कारण, आने वाले समय में दाता देशों के लिए उनकी सहायता जारी रखना मुश्किल होगा। इस बात की संभावना है कि दाता देश इस तरह की सहायता उपलब्ध कराने के लिए बहुत कड़े मानदंड लेकर आएंगे और तालिबान के तहत अफगानिस्तान ऐसे मानदंडों के मूल पहलुओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकता है।
यह निस्संदेह अफगानिस्तान को एक अत्यंत कठिन स्थिति में डाल देगा। यदि यूएई, सऊदी अरब और चीन अफगानिस्तान को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, तो भी वे अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर विभिन्न मोचरें पर अफगान सरकार द्वारा सुपुर्दगी की अपेक्षा करेंगे। इस बात की पूरी संभावना है कि ये दाता राष्ट्र अफगानिस्तान में अभी तक अस्थिर स्थिति और अराजकता की संभावना के कारण कोई भी योगदान देने से पहले इंतजार करेंगे और देखेंगे।
इस स्थिति को देखते हुए और तालिबान में सरकार को प्रभावी ढंग से चलाने की अपनी क्षमता को साबित करने की हताशा को देखते हुए, इस बात की संभावना है कि वे कमाई के वैकल्पिक स्रोतों के लिए जाएंगे। यह बात सभी जानते ही हैं कि तालिबान के लिए अधिक कमाई का वैकल्पिक मार्ग बड़े पैमाने पर पोस्त की खेती के माध्यम से और विभिन्न नशीले पदार्थ एवं ड्रग्स के उत्पादन और सप्लाई को बढ़ाना ही बचेगा। वे उस स्थिति में ड्रग्स का विस्तार अधिक कर देंगे।
यूरोपीय राष्ट्र और रूस सबसे अधिक प्रभावित होंगे और विस्तारित ड्रग्स आधारित अर्थव्यवस्था पर अफगानिस्तान की इस तरह की निर्भरता के संभावित प्रभाव के बारे में वह चिंतित भी हैं। भारत सहित इस क्षेत्र के देशों को इस तरह के खतरे से प्रभावित होने और इसे रोकने एवं कम करने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
अफगानिस्तान से ड्रग्स के उत्पादन और तस्करी को नियंत्रित करने के वैश्विक प्रयासों के बावजूद, अफगानिस्तान में ड्रग्स बाजार वास्तव में ड्रग्स के नए और आधुनिक संस्करणों जैसे कि मेथमफेटामाइन - जिसे क्रिस्टल या स्पीड के रूप में भी जाना जाता है - के उत्पादन के साथ आगे बढ़ा है।
इन आधुनिक ड्रग्स की रूस के अलावा यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में खासी मांग है। अफगानिस्तान में ड्रग्स की स्थिति से निपटने वाले विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान दुनिया पर दबाव बनाने के लिए ड्रग कनेक्ट का इस्तेमाल करेगा।
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Source : IANS