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हिंडन एयरबेस पहुंचे अफगान सांसद ने कहा- अफगानिस्तान में पिछले 20 साल की उपलब्धियां हुई खत्म

भारतीय दल में शामिल अफगान सिखों को तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट पर रोक लिया था. तालिबान का कहना था कि कोई अफगानी मुल्क नहीं छोड़ सकता है.

Updated on: 22 Aug 2021, 07:13 PM

highlights

  • अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा रविवार को पहुंचे भारत
  • अफगानिस्तान में सिखों की हालत बेहद खराब 
  • तालिबान हिंदुओं और अफगान सिखों को अफगानिस्तान छोड़ने पर लगा रहे हैं रोक

नई दिल्ली:

नयी दिल्ली. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां से लोगों का पलायन जारी है. अफगानिस्तान में  विदेशी दूतावासों के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ वहां नौकरी और व्यापार करने वाले लोग तो स्वदेश लौट ही रहे हैं, अफगानिस्तान के हिंदू एवं सिख भी परिवार की रक्षा और बच्चों के भविष्य को देखते हुए विदेश भागने को तैयार हैं. भारत अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को वापस ला रहा है. इसी क्रम में रविवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर 167 लोग अफगानिस्तान से आए. भारतीयों के साथ इस दल में कुछ अफगान सिख परिवार भी शामिल है, जिसमें अफगानिस्तान के सांसद नरेंद्र सिंह खालसा प्रमुख हैं.

अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा अफगानिस्तान की वर्तमान दशा से काफी दुखी हैं. उन्होंने कहा कि ‘‘पिछले 20 साल की सारी उपलब्धियां खत्म हो चुकी है. अब कुछ नहीं बचा और सब शून्य हो चुका है.’’

खालसा ने कहा कि अफगानिस्तान की हालत बेहद खराब है. वहां रहने वाले सभी भारतीय और अफगान सिख काबुल में गुरुद्वारों में शरण ले रहे हैं. करीब 200 अन्य भारतीय और भारतीय मूल के लोग बचाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. भारत पहुंचने में इस दल को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा. क्योंकि भारतीय दल में शामिल अफगान सिखों को तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट पर रोक लिया था. तालिबान का कहना था कि कोई अफगानी मुल्क नहीं छोड़ सकता है.

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खालसा कहते हैं कि, ‘‘तालिबान हमें अफगानिस्तान में रहने के लिए कह रहे थे. उन्होंने हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की बात कही. चूंकि तालिबान के इतने सारे समूह हैं, हम नहीं जानते कि किससे बात करें और किस पर विश्वास करें. इसलिए हमने वहां से निकलने का फैसला किया क्योंकि स्थिति गंभीर है.’’ 

फिर भी अफगान सिखों के लिए देश छोड़ना इतना आसान नहीं था. खालसा कहते हैं, मुझे रोना आ रहा है. सब कुछ खत्म हो गया है. देश छोड़ना बहुत कठिन और दर्दनाक फैसला है. हमने ऐसी स्थिति नहीं देखी थी. सब कुछ छीन लिया गया. सब खत्म हो गया.’

सिख सांसद ने काबुल और अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर तालिबान के कब्जे के बाद उन्हें, उनके परिवार और उनके समुदाय के कई अन्य सदस्यों को बचाने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया. भारत पहुंच कर अफगान सिख अपने को भाग्यशाली बता रहे हैं. उनका कहना है कि भारत हमारा दूसरा घर है. भले ही हम अफगान हैं और उस देश में रहते हैं, पर लोग अक्सर हमें हिंदुस्तानी कहते हैं.