एडीआर का खुलासा, बीजेपी को सबसे अधिक मिला कॉर्पोरेट चंदा, कांग्रेस दूसरे स्थान पर
वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच चार वर्षो में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 705 करोड़ रुपये का जबकि कांग्रेस को 198 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट चंदा मिला है।
highlights
- एडीआर की रिपोर्ट का दावा, चार साल में बीजेपी को 705 करोड़ रु., कांग्रेस को 198 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट चंदा मिला
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को सबसे कम कॉर्पोरेट चंदा मिला
- राष्ट्रीय दलों को चंदा देने वालों में रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ऊपर रहा
नई दिल्ली:
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच चार वर्षो में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 705 करोड़ रुपये का जबकि कांग्रेस को 198 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट चंदा मिला है।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इन चार वर्षो के दौरान कॉर्पोरेट एवं व्यापारिक घरानों ने पांच राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 956.77 करोड़ रुपये का चंदा दिया। इस मामले में कांग्रेस 198.16 करोड़ रुपयों के साथ दूसरे स्थान पर तो है, लेकिन शीर्ष पर मौजूद बीजेपी की अपेक्षा कहीं कम है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को सबसे कम कॉर्पोरेट चंदा मिला है, जो क्रमश: चार फीसदी और 17 फीसदी है।
एडीआर की इस रिपोर्ट में बीजेपी, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को राष्ट्रीय पार्टी माना गया है।
मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है, लेकिन एडीआर की रिपोर्ट में बसपा को शामिल नहीं किया गया है।
एडीआर का कहना है कि बसपा को इसलिए शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि पार्टी ने खुद घोषणा कर रखी है कि उसे इस अवधि में किसी भी दानदाता से 20,000 रुपये से अधिक का चंदा नहीं मिला है।
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश की इन पांच राष्ट्रीय पार्टियों को 1,933 ऐसे दानदाताओं से कुल 384.04 करोड़ रुपये का चंदा मिला है, जिन्होंने चंदे के फॉर्म में पैन नंबर का उल्लेख नहीं किया है।
इसके अलावा इन पार्टियों को कुल 355.08 करोड़ रुपये का चंदा देने वाले 1,546 दानदाताओं ने अपने पतों का भी उल्लेख नहीं किया है।
मजेदार बात यह है कि बिना पैन नंबर और बिना पते वाले इस तरह के कुल चंदों की राशि का 99 फीसदी (159.59 करोड़ रुपया) बीजेपी को मिला है।
संयोग की बात यह भी है कि इन दलों को इस अवधि में मिले चंदे की कुल राशि का 60 फीसदी अकेले वित्त वर्ष 2014-15 में मिले, जब देश में लोकसभा चुनाव हुए थे।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों को इस अवधि में सर्वाधिक चंदा देने वालों में 260.87 करोड़ रुपये के साथ सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे ऊपर रहा। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2012-13 वित्त वर्ष में कोई चंदा नहीं दिया था और अगले तीन वर्षो में उसने कुल 35 लेनदेन कर सर्वाधिक राशि चंदे में दी।
बीजेपी ने सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट से 193.62 करोड़ रुपये का चंदा मिलने की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने 57.25 करोड़ रुपये और राकांपा ने 10 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है।
भारत सरकार द्वारा 2013 में शुरू की गई इलेक्टोरल ट्रस्ट योजना के बाद स्थापित हुई जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट इस अवधि में सर्वाधिक चंदा देने के मामले में दूसरे नंबर पर है।
जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट ने इस दौरान बीजेपी को 70.70 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 54.10 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
वहीं माकपा और भाकपा को सर्वाधिक चंदा देने वालों में एसोसिएशन और यूनियन सबसे ऊपर हैं। माकपा को विभिन्न एसोसिएशनों से इस अवधि में 1.09 करोड़ रुपये मिले, जबकि भाकपा को 15 एसोसिएशन एवं यूनियन से 14.64 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
वित्त वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय दलों को चंदा देने वालों में रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ऊपर रहा और इस वित्त वर्ष में रियल एस्टेट सेक्टर से सभी दलों को कुल 16.95 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
इसमें भी बीजेपी सर्वाधिक चंदा पाने वालों में सबसे ऊपर रही। बीजेपी को वित्त वर्ष 2012-13 में रियल एस्टेट सेक्टर से कुल 15.96 करोड़ रुपये का जबकि कांग्रेस को 95 लाख रुपये का चंदा मिला।
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