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लाल किला (फाइल फोटो)
केंद्र सरकार की 'एडॉप्ट ए हेरिटेज' पॉलिसी के तहत लाल किले को डालमिया ग्रुप ने पांच साल के लिए गोद ले लिया है जिसके बाद विपक्ष सरकार पर लगातार निशाना साध रहा है।
कांग्रेस और आरजेडी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस ने पूछा कि आखिर सरकार सरकारी इमारतों को निजी हाथों में कैसे सौंप सकती है?
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा , ‘मोदी सरकार ऐतिहासिक धरोहर को एक निजी उद्योग समूह को सौंप रही हैं। भारत और इसके इतिहास को लेकर आपकी क्या परिकल्पना है और प्रतिबद्धता है? हमें पता है कि आपकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है, लेकिन फिर भी हम आपसे पूछना चाहते हैं।’
उन्होंने सवाल करते हुए कहा, ‘क्या आपके पास धनराशि की कमी है? भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए निर्धारित राशि क्यों खर्च नहीं हो पाती। अगर उनके पास धनराशि की कमी है, तो राशि खर्च क्यों नहीं हो पाती है?’
वहीं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इस दिन को इतिहास का दुखद और काला दिन करार दिया है।
ममता बनर्जी ने ट्वीट कर लिखा, 'मोदी सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल किला की देखरेख क्यों नहीं कर सकती है? लाल किला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है। यह वह जगह है, जहां स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा लहराया जाता है। इसको किराए पर क्यों दिया गया? यह हमारे इतिहास का बेहद दुखद और काला दिन है।'
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हालांकि बीजेपी ने मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि इस परियोजना के तहत कंपनियां केवल पैसा खर्च करेंगी, पैसा कमाएंगी नहीं। वे आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके लिए शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराएंगी।
पर्यटन राज्यमंत्री के.जे. अल्फोंस ने कहा कि यदि कंपनियां राशि खर्च कर रही हैं तो उसका श्रेय लेने में कुछ गलत नहीं है।
पर्यटन राज्यमंत्री महेश शर्मा ने कहा कि इस योजना का उद्घाटन पिछले साल 27 सितंबर को हुआ था। विपक्ष जान बूझकर हंगामा कर रहा है। अगर कोई दुविधा है तो हमसे सवाल करें हम जवाब देने को तैयार हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पर्यटन दिवस के मौके पर 'एडॉप्ट ए हेरिटेज' स्कीम का उद्धाटन किया था।
जिसके तहत डालमिया ग्रुप ने लाल किले को पांच साल के लिए एडॉप्ट किया है। डालमिया ग्रुप लाल किले पर हर साल करीब पांच करोड़ रुपए खर्च कर इसकी सुविधाओं और सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देगा।
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Source : News Nation Bureau