यूपी में 14 साल बाद बीजेपी को मिली स्पष्ट बहुमत के बाद गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ को राज्य की कमान मिली है। योगी आदित्यनाथ रविवार को लखनऊ में सीएम पद की शपथ लेंगे।
योगी के शपथ ग्रहण समारोह में 8 बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ ही करीब 5000 से ज्यादा मेहमान शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में शासन व्यवस्था संभालने और जातिगत समीकरण में संतुलन बनाए रखने के लिए बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम भी बनाए हैं।
यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया है। 5 बार गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने इस बार विधानसभा चुनाव में गोरखपुर की 10 विधानसभा सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
योगी होंगे सीएम तो मोदी होंगे सुपर सीएम?
यूपी जैसे बड़े राज्य में बीजेपी बिना किसी सीएम उम्मीदवार के उतरी और पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव जीती। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों की कर्ज माफी से लेकर कानून व्यवस्था, राज्य में 24 घंटे बिजली से लेकर राज्य के युवाओं को रोजगार तक अनेक वादे किए, जिस पर जनता ने भरोसा किया।
ऐसे में अगर राज्य सरकार जनता की इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने में विफल होती है तो जितनी बदनामी राज्य सरकार की होगी उससे कहीं ज्यादा नरेंद्र मोदी की साख को धक्का लगेगा। इसका कारण यह है कि लोगों ने उत्तर प्रदेश में मोदी के नाम पर वोट दिया है। अगर राज्य सरकार किसी भी कारण से राज्य का विकास करने में विफल साबित होगी तो पीएम मोदी के 'विकास पुरुष' वाली छवि को धक्का लगेगा।
योगी सीएम लेकिन राज्य की जिम्मेदारी पीएम पर
ऐसे में जब परोक्ष रूप से जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी पर है तो ये भी तय है कि राज्य में सीएम भले ही कोई हो लेकिन 'सुपर सीएम' की भूमिका में पीएम मोदी ही होंगे और राज्य सरकार के काम पर सीधे उनकी नजर होगी।
इसके साथ ही चुनाव में जीत मिलने के बाद ही राज्य के सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने बीजेपी के घोषणा पत्र को अपने पास मंगवा लिया ताकि बीजेपी ने जनता से जो वादा किए हैं, उसे अमली जामा पहनाया जा सके। यूपी के वकास का जितना दबाव राज्य सरकार पर है उससे कहीं ज्यादा मोदी सरकार पर होगा।
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में राम मंदिर समेत कई अहम वादे किए है जिसको पूरा करने में राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार की भी अहम भूमिका होगी।
जनता 2019 में लेगी मोदी की परीक्षा
कई राज्यों की चुनावी रैली में मोदी कह चुके हैं कि राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार नहीं होने का नुकसान जनता को उठाना पड़ता है। मोदी ने इसे राजनीतिक शत्रुता बताते हुए कहा था कि राज्य सरकार जानबूझकर केंद्र सरकार की कई योजनाओं और कार्यक्रमों को अपने यहां लागू नहीं करती।
ऐसे में अब 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के पास ये तर्क भी नहीं होगा क्योंकि केंद्र के साथ ही अब राज्य में भी उन्हीं की सरकार है। पीएम मोदी यूपी में सुपर सीएम की भूमिका शायद इसलिए भी निभाएंगे क्योंकि राजनीतिक रूप से यूपी बीजेपी के लिए पूरे देश में सबसे अहम है।
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यूपी इसलिए बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि यूपी में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें हैं। ऐसे में 2019 में भी प्रधानमंत्री बनने के लिए पीएम मोदी के लिए यूपी में 2014 और 2017 जैसी जीत को कायम रखना बेहद जरूरी होगा।
इसी वजह से पीएम मोदी किसी भी सूरत में ये नहीं चाहेंगे की यूपी में राजनीतिक वजह से विकास कार्य में बाधा पड़े और जनता उनसे अगले लोकसभा चुनाव में नाराज हो जाए।
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Source : Kunal Kaushal