भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और जतिन मेहता पर शिकंजा कसने और उन्हें वापस लाने की दिशा में जल्द ही बड़ी कामयाबी मिल सकती है. सरकार के सूत्रों ने इस संबंध में संकेत देते हुए बताया है कि वे लगातार इन चारों के पीछे लगे हुए हैं. प्रत्येक के मामले में सुनियोजित रणनीति बनाई गई और मुजरिमों को कानून के हवाले करने की कोशिश जारी रही है. चुनाव के दौरान ही इस दिशा में जल्द ही बड़ी कामयाबी मिलने की उम्मीद है.
नीरव मोदी और माल्या ने ब्रिटेन में शरण ले रखी है और स्थानीय न्याय प्रणाली उनके पीछे लगी हुई है. वहीं, हीरा कारोबारी चोकसी और मेहता का कैरीबियाई द्वीप समूह से वापस लाने के लिए भारत सरकार सभी जरूरी रणनीतियों को इस्तेमाल करने की कोशिश में जुटी हुई है.
चोकसी को लाने के लिए एंटिगुआ और बारबूडा के साथ और मेहता के लिए सैंट किट्स और नेविस के साथ सरकारों के बीच वार्ता चल रही है. अनेक कैरीबियाई द्वीप समूहों के विवादास्पद पैसे देकर नागरिकता कार्यक्रम के तहत चोकसी और विंसोम डायमंड के प्रमोटर जतिन मेहता ने वहां की नागरिकता ले रखी है.
कुछ साल पहले मेहता सैंट किट्स और नेविस के नागरिक बन गए और चोकसी ने हाल ही में एंटिगुआ और बारबूडा की नागरिकता ले ली. इन द्वीप समूहों द्वारा 132 देशों की यात्रा के लिए मुफ्त वीजा प्रदान किया जाता है.
भारत के आर्थिक अपराधियों में निवेश के जरिए नागरिकता प्रचलित हो गई है. जांच एजेंसी के सूत्रों ने भी खुलासा किया है कि चोकसी और मेहता इस कवायद में मुख्य निशाने पर हैं.
मेहुल चोकसी को कैरीबियाई द्वीप से पकड़ा जा सकता है, जबकि नीरव मोदी लंदन में नजरबंद है. दोनों अति वांछित हैं. इन द्वीप समूहों के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं होने से भारत के अति धनाढ्य लोगों के लिए ये सुरक्षित पनाहगाह हैं.
Source : News Nation Bureau