पीएम मोदी ने आचार्य चाणक्य का किया जिक्र, जानिए राष्ट्र के बारे में कही गई उनकी 7 बातें
पीएम मोदी ने कहा कि आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) (Acharya Chanakya) के बाद सरदार पटेल ही ऐसे रहे हैं जिन्होंने राष्ट्र को एक बनाया. आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) (Acahrya Chanakya) की वो कौन सी नीतियां थीं जिससे भारत एक राष्ट्र बना.
नई दिल्ली:
Chanakya Niti: देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) की आज जयंती है. धारा 370 (Article 370) हटने के बाद यह पहली जयंती है. गुजरात के केवड़िया में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर देश को संबोधित किया. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर कश्मीर का मसला सरदार पटेल (Sardar Patel) के पास होता तो 370 इतना लंबा न चलता.
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) के बाद सरदार पटेल ही ऐसे रहे हैं जिन्होंने राष्ट्र को एक बनाया. आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की वो कौन सी नीतियां थीं जिससे भारत एक राष्ट्र बना.
ऐसे थे आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) में एक शिक्षक थे. शिक्षक होने के साथ-साथ आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) को राजनीति में भी बेहद कुशल थे. उन्हें यह पता था कि आखिर अंतर्राष्ट्रीय संबंध कैसे बनाए जाएं. आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) समुद्र शास्त्र में भी पारंगत थे यानी बात करने के दौरान वह सामने वाले के हाव-भाव को पढ़ लेते थे.
अखंड भारत का निर्माण
जिस वक्त सिकंदर भारत पर आक्रमण करना चाहता था. उस वक्त आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) देश को एक बनाना चाहते थे. वो चाहते थे कि कई सारे राजाओं की जगह एक शक्तिशाली राजा को देश के केंद्र में स्थापित किया जाए. उस वक्त मगध देश में सबसे शक्तिशाली राज्य जिसमें आज का उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई हिस्से शामिल थे. मगध पर नंद वंश राज करता था. आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) राजा घनानंद के पास गए और बताया कि हमें सिकंदर को रोकने के लिए तैयारी शुरु करनी चाहिए.
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लेकिन राजा घनानंद उस समय भोग विलास में लिप्त था. उसे राज्य की कोई फिक्र नहीं थी. आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने बताया कि जो कर आप जनता से वसूलते हैं उसे समाज सेवा में लगा देना चाहिए. जिस पर घनानंद (Ghananand) ने आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) को काफी बुरा भला कहा. यहां तक उसने आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) को धक्का दे दिया. जिसके कारण आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की चोटी खुल गई. जिसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि नंद वंश की समाप्ति के बाद ही वह इस चोटी को बांधेंगे.
चाणक्य की हार
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने देश को एक बनाने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य (Chandragupta Maurya) पर भरोसा जताया. चंद्रगुप्त की मदद से सिकंदर की सेना को उन्होंने खोखला कर दिया. सिकंदर को हराने के बाद चंद्रगुप्त की छोटी सी सेना और आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने सोचा कि मगध को भी हराया जा सकता है. इसलिए उन्होंने तुरंत मगध पर आक्रमण कर दिया. लेकिन मगध की सेना ने चंद्रगुप्त की सेना को बुरी तरह हरा दिया.
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यह हार आचार्य चाणक्य से सहन नहीं हुई. लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हार कैसे हुई. उनके दिमाग की बत्ती तब जली जब वह एक झोपड़ी के पास बैठे थे. झोपड़ी के अंदर एक मां और बच्चा थे. मां ने खिचड़ी बना कर बच्चे को दी. खिचड़ी गर्म थी और बच्चे ने सीधे बीच में हाथ डाल कर खाना चाहा जिससे वह जल गया.
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जिस पर मां ने बच्चे को डाटा और कहा कि तू तो चाणक्य की तरह मूर्ख है. सीधे इतनी गर्म खिचड़ी नहीं खाई जाती है. वह भी सीधे मगध के बीच में घुस गया छोटी सी सेना लेकर. खिचड़ी को किनारे से ठंडा होने दो और फिर खाओ. महिला की यह बात सुन कर आचार्य चाणक्य को यह समझ आ गया कि मगध को हराने के लिए उसे बाहर से तोड़ना होगा.
इन 7 नीतियों से जीता मगध
- परिधि से तोड़ना: मगध के वह राज्य जिन पर घनानंद की कमजोर पकड़ थी उन पर चाणक्य ने हमला करवाया और मगध को कमजोर करना शुरु किया.
- विष कन्या: राजाओं को मारने के लिए उन्होंने विष कन्याओं की एक सेना बनाई. इस सेना में खूबसूरत लड़कियां होती थीं जो हर रोज थोड़ा थोड़ा विष पीती थीं. यह विष कन्याएं किसी भी राजा को अपने चुंबन से मार देती थीं.
- जासूसों की सेना: आचार्य चाणक्य ने जासूसों की एक बड़ी सेना बनाई जो मगध के अंदर की खबर देते थे. कई बार वह जासूसों की भी जासूसी करवा देते थे. आचार्य चाणक्य का कहना था कि कभी भी शत्रु के बारे में गुस्से से नहीं सोचना चाहिए. क्योंकि इससे आपकी विश्लेषण की क्षमता खत्म हो जाती है.
- मन बुद्धि और आत्मा से बनाई सेना: आचार्य चाणक्य ने उस समय के सबसे महान ऋषि वात्सायन मुनि का वेष बनाया और जगह-जगह कथा कहनी शुरु कर दी. कथा के दौरान वह लोगों को चंद्रगुप्त की सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करते रहते थे. जिससे प्रभावित होकर बहुत से लोग चंद्रगुप्त की सेना में शामिल हुए. बताया जाता है कि इस तकनीक से उन्होंने 8 लाख लोगों की सेना तैयार कर ली थी.
- योग्यता आगे बढ़ने का आधार: आचार्य चाणक्य सिर्फ उसी व्यक्ति को आगे बढ़ाते थे जो योग्य होता था. चाहे वह किसी भी वर्ण का क्यों न हो. आचार्य चाणक्य का कहना था कि राजा को हमेशा अपने आस-पास बुद्धिमान लोगों को रखना चाहिए न कि चापलूसों को जो आपकी तारीफ करें.
- छोटे-छोटे युद्ध: अपनी सेना को ट्रेनिंग देने और उसकी काबिलियत को परखने के लिए आचार्य चाणक्य छोटे-छोटे युद्ध करवाते रहते थे. ताकि दुश्मनों में खौफ बने.
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: आचार्य चाणक्य का कहना था कि देश को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से संबंध मजबूत करना बेहद जरूरी है. उन्होंने पोरस को अपने साथ लिया और भी कई देश के राजाओं को मिलाकर घनानंद पर आक्रमण कर दिया.
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