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'कोरोनिल' को लेकर मैदान में उतरे आचार्य बालकृष्ण, पूरे विवाद पर दिया ये जवाब

'कोरोनिल' पर हुए विवाद के बाद अब पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण खुद सामने आए हैं.

Updated on: 24 Feb 2021, 02:02 PM

नई दिल्ली:

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Corona Virus) की दवाई 'कोरोनिल' को लेकर एक बार फिर देश में विवाद पैदा हो गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बीते दिनों कोरोनिल (Coronil) का समर्थन करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Dr Harsh Vardhan) से स्पष्टीकरण मांगा था. हालांकि 'कोरोनिल' पर हुए विवाद के बाद अब पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) खुद सामने आए हैं. उन्होंने प्रेस नोट जारी करके इस पूरे विवाद पर सफाई दी है. उन्होंने कहा कि WHO-GMP के अनुसार कोरोनिल दवाई को CoPP लाइसेंस प्राप्त हुआ.

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पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ-जीएमपी के अनुसार कोरोनिल को CoPP लाइसेंस से सम्मानित किया गया. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि डॉक्टर हर्षवर्धन ने किसी भी आयुर्वेदिक दवा का समर्थन नहीं किया और न ही उन्होंने आधुनिक चिकित्सा को कमजोर किया.'

वहीं पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने 4 पन्नों की प्रेस रिलीज टि्वटर पर जारी की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है, 'आज की महामारी में, कोरोनिल ने WHO-GMP, CoPP लाइसेंस प्राप्त करके, आयुर्वेद का डंका पूरे विश्व में बजा दिया है. आयुर्वेद की विरोधियों में खलबली मची है.'

उल्लेखनीय है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पतंजलि के कोरोनिल का समर्थन करने के लिए इसी हफ्ते सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को आड़े हाथों लिया. कोरोनिल को कोविड-19 के उपचार के उद्देश्य से दोबारा लांच किया गया था, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पतंजलि के इस दावे पर सवाल उठाया. आईएमए ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की संहिता के अनुसार, जो हर आधुनिक मेडिकल डॉक्टर के लिए बाध्यकारी है, कोई भी डॉक्टर किसी भी दवा को प्रमोट नहीं कर सकता है.

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आईएमए ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि स्वास्थ्य मंत्री, जो खुद एक आधुनिक चिकित्सा डॉक्टर हैं, दवा का प्रचार करते हुए पाए गए. आईएमए ने कहा कि देश के स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति में बनाई गई एक अवैज्ञानिक दवा का गलत और मनगढ़ंत प्रक्षेपण, जिसे बाद में डब्ल्यूएचओ ने खारिज कर दिया, पूरे देश का अपमान है. एसोसिएशन ने योगगुरु रामदेव द्वारा संचालित आयुर्वेदिक दवा फर्म पतंजलि के एक कार्यक्रम में एक चिकित्सक व स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उपस्थिति के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की नैतिकता पर सवाल उठाया था.

गौरतलब है कि 19 फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में पतंजलि ने कोरोनिल टैबलेट को लॉन्च करते हुए इसे 'कोविड-19 के लिए पहली साक्ष्य-आधारित दवा' बताया था. इस दौरान वहां केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे. इस कार्यक्रम में आयुर्वेदिक फर्म के सह-संस्थापक बाबा रामदेव ने दावा किया था कि आयुर्वेदिक दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से प्रमाणन मिला है, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र के एक आधिकारिक ट्वीट में इनकार कर दिया गया था.