पिछले साल गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली के लालकिले में हुई हिंसा के सिलसिले में नामजद पंजाबी अभिनेता से कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू की मंगलवार को दिल्ली के पास एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
38 वर्षीय अभिनेताा केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन में सक्रिय थे। ये कानून हालांकि अब निरस्त कर दिए गए हैं।
दुर्घटना कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर हुई जो राष्ट्रीय राजधानी से होकर गुजरती है। पुलिस ने बताया कि सिद्धू दिल्ली से पंजाब के बठिंडा जा रहे थे, तभी रात साढ़े नौ बजे जिस कार में वह जा रहे थे, वह एक ट्रेलर ट्रक से जा टकराई। हादसे में उनकी महिला सह चालक बाल-बाल बच गई।
सिद्धू को हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखोदा अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।
पिछले साल 26 जनवरी को सिद्धू को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के नियोजित मार्ग का उल्लंघन करके प्रतिष्ठित लालकिले की प्राचीर पर पहुंचने वाली भीड़ के बीच देखा गया था, और उन पर सिख धर्म के प्रतीक निशान साहिब को स्थापित करने के लिए प्रदर्शनकारियों को उकसाने का आरोप लगाया गया था।
पंजाब के मुक्तसर के उडेकरन गांव से ताल्लुक रखने वाले सिद्धू का परिवार 80 के दशक में गांव छोड़कर चला गया था। उनके पिता वकील थे जिन्होंने गिद्दड़बाहा में प्रैक्टिस किया था।
लालकिले से एक फेसबुक लाइव में सिद्धू, जो कभी अभिनेता और भाजपा सांसद सनी देओल से निकटता के लिए जाने जाते थे, को हिंसा में आरोपित होने के बाद यह कहते हुए सुना गया था : हमने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए लालकिले पर केवल निशान साहिब का झंडा फहराया है।
उन्होंने यह भी कहा था कि लालकिले के झंडे से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया।
एक अन्य वीडियो में सिद्धू को लालकिले से बाइक पर भागते हुए देखा जा सकता है।
गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लखा सिधाना के साथ सिद्धू को 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया था।
सिधाना एक गैंगस्टर से राजनेता बने हैं, जिन्हें 2012 के विधानसभा चुनाव में पंजाब की पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लड़ने से पहले कई मामलों में बरी कर दिया गया था, एक बार मनप्रीत सिंह बादल के नेतृत्व में, जो इस समय पंजाब में वित्तमंत्री हैं।
दरअसल, किसान नेताओं ने सिद्धू और सिधाना दोनों से दूरी बना ली थी और उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था।
हालांकि, सिद्धू ने किसान संघ के नेताओं पर लोगों से सलाह किए बिना निर्णय लेने और अपना बचाव करने का आरोप लगाते हुए अपने एक वीडियो में कहा था : मैं देख रहा हूं कि मेरे खिलाफ झूठा प्रचार और नफरत फैलाई जा रही है।
उन्होंने कहा था, हजारों लोग लालकिला पहुंचे थे, लेकिन वहां कोई किसान नेता मौजूद नहीं था। किसी ने भी हिंसा नहीं की और न ही किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए झंडे पर निशान साहिब और एक किसान झंडा लगाया।
सिद्धू ने कहा था, कई लोग निशान साहिब के झंडे, किसान के झंडे और तिरंगा लिए हुए थे। अगर आप कहते हैं कि ऐसा करके मैं देशद्रोही हो गया हूं, तो वहां जितने लोग मौजूद थे, वे भी देशद्रोही हैं।
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Source : IANS