भारत की अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने में जुटी मोदी सरकार को शायद ये जानकर हैरानी होगी कि देश में करीब एक अरब लोग अभी भी इंटरनेट की सुविधा से दूर है। इस बात खुलासा सोमवार को एसोचैम और निजी कंपनी डेलोइट के संयुक्त अध्ययन में हुआ।
भारत में मोबाइल पर इंटरनेट चलाना जहां पूरी दुनिया के मुकाबले काफी सस्ता है और स्मार्टफोन की कीमतों में लगातार गिरावट जारी है। इन सबके बावजूद देश की करीब सवा अरब की कुल आबादी में से तीन चौथाई आबादी अभी भी इंटरनेट से दूर है।
अध्ययन के अनुसार, 'भारत में इंटरनेट के प्रसार की गति काफी तेज है, लेकिन देश में डिजिटल साक्षरता के प्रसार के लिए वाजिब कीमत पर ब्रॉडबैंड, स्मार्ट उपकरणों एवं मासिक इंटरनेट पैकेज की उपलब्धता मुहैया कराए जाने की जरूरत है।'
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'स्ट्रैटजिक नेशनल मेजर्स टू कॉम्बैट साइबरक्राइम' शीर्षक वाले इस अध्ययन में कहा गया है, 'सरकार की मौजूदा अवसंरचना का इस्तेमाल देश के अंदरूनी इलाकों तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने में होना चाहिए।'
अध्ययन के अनुसार, 'डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में संबंधित शिक्षा प्रदान करना होगा, वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों को साथ लाना होगा और स्किल इंडिया अभियान के तहत प्रशिक्षित लोगों का इस्तेमाल करना होगा।'
अध्ययन में कहा गया है कि स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया के बीच समन्वय बिठाते हुए डिजिटल साक्षरता के कार्यक्रमों को तैयार करने और उस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
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अध्ययन के अनुसार, 'अधिकतर दूरसंचार कंपनियां अब तक ग्रामीण इलाकों में तेज गति की इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए निवेश नहीं कर रही हैं। इसी तरह सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों (एमएसएमई) को सरकार की योजनाओं के बारे में पता ही नहीं है।'
अध्ययन में कहा गया है कि स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया के बीच सामांजस्य बिठाते हुए डिजिटल साक्षरता के कार्यक्रमों को तैयार करने और उस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
Source : IANS