TADA अदालत ने 1993 बम विस्फोट मामले (1993 serial bomb blast case) में सबूतों की कमी का हवाला देते हुए आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda) को बरी कर दिया है, जिसके एक दिन बाद अब सीबीआई का बड़ा बयान सामने आया है. CBI ने कहा है कि, वह टाडा अदालत के फैसले का अध्ययन करने के बाद इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. इसके साथ ही सीबीआई ने कहा कि, मामले में अब तक 12 लोगों को दोषी ठहराया गया है, जिनमें इरफान और हमीर-उल-उद्दीन भी शामिल हैं, जिन्हें गुरुवार को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) अदालत के न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं जज ने टुंडा को बरी कर दिया है.
गौरतलब है कि, साल 1993 में 5-6 दिसंबर मध्यरात्रि को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में राजधानी एक्सप्रेस सहित लंबी दूरी की छह ट्रेनों में सिलसिलेवार विस्फोट हुए थे. विस्फोटों में दो लोग मारे गए और 22 घायल हो गए थे. इस मामले में सीबीआई ने 21 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिनमें से 15 को 20 साल पहले 28 फरवरी, 2004 को अजमेर की टाडा अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इनमें से 10 दोषियों की सजा बरकरार रखी थी.
ज्ञात हो कि, सीबीआई ने टुंडा पर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर चार ट्रेनों में हुए धमाकों का आरोप लगाया था. बरी किए जाने के बाद, राजस्थान सरकार ने केंद्र से आग्रह किया कि वह सीबीआई को बरी किए जाने को चुनौती देने के लिए कहे.
इस मामले में टुंडा के वकील शफकत सुल्तानी ने कहा कि सीबीआई टुंडा के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रही. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, "अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है. उसे सभी धाराओं से बरी कर दिया गया है. सीबीआई के अभियोजक टाडा, आईपीसी, रेलवे अधिनियम, शस्त्र अधिनियम या विस्फोटक मामले में अदालत के समक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके."
Source : News Nation Bureau