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दरभंगा ट्रेन विस्फोट मामले में एनआईए लश्कर के आतंकी अब्दुल करीम टुंडा से करेगी पूछताछ

दरभंगा ट्रेन विस्फोट मामले में एनआईए लश्कर के आतंकी अब्दुल करीम टुंडा से करेगी पूछताछ

Updated on: 19 Aug 2021, 10:00 PM

नई दिल्ली:

दरभंगा रेलवे स्टेशन विस्फोट मामले में आगे बढ़ते हुए, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा से पूछताछ के लिए पूरी तरह तैयार है।

सिकंदराबाद-दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेन में एक पार्सल में विस्फोट हुए बम के विन्यास (आकृति) और संयोजन के लिए प्रशिक्षण देने में उसकी कथित भूमिका को लेकर एजेंसी उससे पूछताछ करेगी।

टुंडा को 2013 में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को अहम जानकारी मिली है कि टुंडा ने मोहम्मद नासिर खान को प्रशिक्षित किया था, जिसने इस साल 15 जून को ट्रेन में बम लगाया था।

अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने मामले के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें इमरान मलिक और खान (दोनों भाई) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सदस्य शामिल हैं, जिन्हें 30 जून को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था; मोहम्मद सलीम अहमद उर्फ हाजी सलीम और काफिल उर्फ कफील, दोनों उत्तर प्रदेश के कैराना के निवासी हैं और 2 जुलाई को गिरफ्तार किए गए थे।

अधिकारी ने बताया कि टुंडा के पाकिस्तान स्थित इकबाल काना के साथ अच्छे संबंध हैं, जिसके निर्देश पर सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन में बम लगाया गया था। अधिकारी ने बताया कि टुंडा को दो दशक से अधिक समय तक फरार रहने के बाद अगस्त 2013 में गिरफ्तार किया गया था। टुंडा 2009 में काना के संपर्क में आया था।

अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के दौरान टुंडा की भूमिका सामने आई है। एनआईए के एक प्रवक्ता ने पहले एक बयान में कहा था कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष गुर्गों द्वारा पूरे भारत में आतंकी कृत्यों को अंजाम देने और जान-माल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई थी।

एनआईए ने कहा था कि लश्कर, खान और मलिक के पाकिस्तान स्थित आकाओं के निदेशरें के तहत काम करते हुए एक विस्फोटक आईईडी बनाया था और इसे कपड़े के एक पार्सल में पैक किया गया था। इसे सिकंदराबाद से दरभंगा तक जाने वाली लंबी दूरी की ट्रेन में बुक किया गया था। आतंकवाद विरोधी जांच एजेंसी ने बताया कि इसका उद्देश्य चलती यात्री ट्रेन में विस्फोट और आग लगाना था, जिसके परिणामस्वरूप जान और माल का भारी नुकसान होता।

अधिकारी ने कहा कि खान को 2012 में पाकिस्तान भी भेजा गया था जहां उसे बम बनाने का प्रशिक्षण मिला था और उसे काना और अन्य इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) अधिकारियों से मिलने के लिए भी कहा गया था। अधिकारी ने बताया कि खान छह महीने बाद भारत लौटा और 2020 तक निष्क्रिय रहा। यहां तक कि उसका भाई नासिर भी काना के संपर्क में था।

कैराना निवासी अन्य आरोपी अहमद की भूमिका के बारे में अधिक जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा कि वह काना के संपर्क में भी था, क्योंकि वे एक ही गांव के हैं। अधिकारी ने कहा कि खान भाइयों और मलिक ने फरवरी 2021 में अहमद के आवास पर मुलाकात की थी और चलती ट्रेन में आईईडी लगाने की योजना को अंतिम रूप दिया था, ताकि जान-माल का व्यापक नुकसान हो सके। अहमद ने विस्फोट को अंजाम देने के लिए खान और मलिक के लिए 1.6 लाख रुपये की व्यवस्था भी की थी।

अहमद को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के काना का करीबी सहयोगी बताते हुए एनआईए अधिकारी ने कहा, अहमद काना और गिरफ्तार खान भाइयों तथा मलिक के बीच एक प्रमुख मध्यस्थ के रूप में काम कर रहा था। वह काना द्वारा भेजे गए फंड को चलाने में भी शामिल था, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी कृत्य के लिए किया जाना था।

अधिकारी ने कहा कि अहमद कई मौकों पर पाकिस्तान का दौरा कर चुका है। आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं और भारत में उनके सदस्यों के बीच हवाला लेनदेन सौदे की भी जांच करेगी। सूत्र ने खुलासा किया कि खुफिया ब्यूरो और कई अन्य एजेंसियों की एक टीम ने अहमद से भी पूछताछ की है।

विस्फोट के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर में 17 जून को मामला दर्ज किया गया था। एनआईए ने 24 जून को जांच अपने हाथ में ली थी।

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