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आरुषि मर्डर केस में तलवार दंपती को मिला 'संदेह का लाभ', नहीं मिली क्लीन चिट-पूर्व CBI डायरेक्टर

सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर एपी सिंह ने कहा कि पूरी जांच में प्रमुख दोष यह था कि पहले दिन ही क्राइम सीन को मिटा दिया गया था।

Updated on: 13 Oct 2017, 09:57 AM

नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आरुषि-हेमराज मर्डर केस में तलवार दंपती को बरी करने के बाद सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर ए पी सिंह ने कहा कि पूरी जांच में सबसे बड़ी खामी यही थी कि पहले ही दिन क्राइम सीन को पूरी तरह से मिटा दिया गया था।

जब उनसे पूछा गया कि क्या नोएडा पुलिस की जांच में कोई कमी थी तो उन्होंने कहा, 'केवल एक ही कमजोरी हमने पाई कि अपराध के दृश्य को पहले दिन ही बुरी तरह से छेड़ दिया गया था। नतीजतन हम क्राइम सीन से कुछ भी ख़ास पता नहीं लगा पाए। यही पूरी जांच में प्रमुख नुकसान था।'

आरुषि मर्डर केस की जांच के समय सीबीआई की कमान ए पी सिंह संभाल रहे थे। एपी सिंह 2010 से दो साल तक सीबीआई के डायरेक्टर रहे थे।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर ए पी सिंह ने कहा, 'कोर्ट ने केवल यही कहा जो मैंने शुरू में कहा था। उन्होंने कहा कि यह 'संदेह का लाभ' है, और हमने इसे अपर्याप्त साक्ष्य का कारण कहा।'

पूर्व सीबीआई डायरेक्टर ने कहा, 'यह वास्तव में क्लीन चिट नहीं है क्योंकि उन्हें सिर्फ संदेह का लाभ मिला है न कि यह कि वह बेकसूर है।'

जिस समय उनके हाथ सीबीआई की कमान थी उस दौरान की जांच के बारे में पूछने पर सिंह ने बताया, 'जांच लगभग पूरी हो चुकी थी। मुझे सिर्फ तय करना था कि हम चार्जशीट फाइल करेंगे या फिर जांच बंद करेंगे। साक्ष्यों के आधार पर मुझे महसूस हुआ कि यह तलवार दंपती के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के लिए नाकाफी है। लेकिन जांच टीम को विश्वास था कि वो अपराध में शामिल थे। इसीलिए हमने सभी साक्ष्यों को इकट्ठा किया और कोर्ट से समक्ष पेश किया और कहा कि हमारे पास उन्हें चार्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है।'

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गौरतलब है कि गाज़ियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर 2013 में तलवार दंपती को बेटी आरुषि और नौकर की हत्या मामले में उम्रकैद सुनाई थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए तलवार दंपती को गुरुवार 12 अक्टूबर 2017 को बरी कर दिया है।

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