अयोग्य करार दिए जाने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों ने राष्ट्रपति फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में दोबारा याचिका दायर की है। जिसे मंज़ूर कर लिया गया है और इस पर बुधवार को सुनवाई की जाएगी।
चुनाव आयोग के इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव दिया था जिस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा दी थी। इससे पहले विधायकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में ही एक याचिका में चुनाव आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने की मांग की थी।
सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि आप के छह विधायकों की तरफ से दायर की गई याचिका बेकार हो गई है क्योंकि राष्ट्रपति ने पहले ही सभी 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
अदालत का यह फैसला चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा उसे यह सूचित करने के बाद आया कि वह विधायकों के अदालत में जाने से पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी राय भेज चुका था।
अदालत ने कहा, 'अब इस याचिका में क्या बचा है, राष्ट्रपति ने अंतिम तौर पर आदेश पारित कर दिया है। याचिका को वापस लिया गया बताते हुए खारिज किया जाता है।'
रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लाभ के पद के मामले में दोषी मानते हुए आप के 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द किए जाने की चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर लिया था।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून मंत्रालय ने इन विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके बाद ही आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया था कि वह आयोग के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंदर गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल खुफिया, शिव चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोम दत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह (तिलक नगर) शामिल हैं।
Source : News Nation Bureau
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