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दुनिया में कोरोना से भी भयंकर वायरस का खतरा मंडराया, वैज्ञानिकों ने दिया संकेत

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से मची भारी तबाही के बाद देश एक बार फिर बड़े खतरे की जद में है. यह हम नहीं बल्कि देश के बड़े वैज्ञानिक बता रहे हैं. वैज्ञानिकों ने तो इसको लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया है

Updated on: 19 Oct 2022, 06:13 PM

New Delhi:

विश्न में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से मची भारी तबाही के बाद दुनिया एक बार फिर बड़े खतरे की जद में है. यह हम नहीं बल्कि विश्व के बड़े वैज्ञानिक बता रहे हैं. वैज्ञानिकों ने तो इसको लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि दुनिया में नई महामारी ग्लेशियरों के पिघलने से आएगी. उनका मानना है कि ग्लेशियरों के नीचे कई तरह के खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस न जाने कब से दबे हुए हैं. अब जबकि ये ग्लेशियर तेजी के साथ पिघल रहे हैं. तो ऐसे में माना जा रहा है कि ये वायरस और बैक्टीरिया दुनिया में भारी तबाही मचा सकते हैं.

ग्लेशियर पिघलने से आएगी भारी तबाही

आपको पता दें कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर के ग्लेशियर तेजी के साथ पिघलते जा रहे हैं. ऐसे में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती देशों के नष्ट होने का खतरा तो बढ़ ही गया है. इसके साथ ही नए-नए वायरस फैलने की आशंका भी गहरा गई है. दरअसल, ग्लेशियर को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा की गई स्टडी में खुलासा हुआ है कि इन पुराने बर्फ के पहाड़ों के नीचे न जाने कब से कितनी तरह के वायरस और बैक्टीरिया दबे पड़े हैं. ये वायरस सदियों से वहीं पर प्रजनन कर अपनी पीढ़ियां बढ़ाने में जुटे हैं. आर्कटिक की ग्लेशियर झीलों को तो ऐसे कितने ही वायरसों के केंद्र माना गया है, जो खतरनाक महामारी फैलाने में सक्षम हैं.

कोरोना और ईबोला से भी भयानक वायरस

वैज्ञानिकों का कहना है कि इन ग्लेशियरों के नीचे से वायरस बाहर आएंगे वो कोरोना, ईबोला और दूसरे कई वायरसों से भी ज्यादा खतरनाक साबित होंगे.  वैज्ञानिकों ने हाल ही में आर्कटिक क्षेत्र के नॉर्थ में स्थित हेजेन झील की स्टडी की है. वैज्ञानिकों ने स्टडी के दौरान लेक की मिट्टी और सेडिमेंट्स की जांच की. मिट्टी में मौजूद डीएनए और आरएनएकी सिक्वेंसिंग की गई. स्टडी में खुलासा हुआ है कि यहां से भयंकर वायरस के लीक होने का खतरा है.