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खाड़ी देशों से बड़े निवेश को आकर्षित कर रहा जम्मू-कश्मीर

खाड़ी देशों से बड़े निवेश को आकर्षित कर रहा जम्मू-कश्मीर

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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एक ओर जहां इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) शिखर सम्मेलन पाकिस्तान में हो रहा है, वहीं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का शीर्ष व्यापार प्रतिनिधिमंडल केंद्र शासित प्रदेश के साथ संबंधों को और मजबूत करने व्यापार के अवसर तलाशने के लिए 20 मार्च को श्रीनगर पहुंचा है।

यह प्रतिनिधिमंडल उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निमंत्रण पर क्षेत्र में व्यापार के अवसरों का आकलन करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश के दौरे पर है।

वर्ष की शुरुआत में एक व्यापारिक गति देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता हुआ है।

यूटी को निवेश के तौर पर 2.5 अरब डॉलर (लगभग 18,568 करोड़ रुपये) प्राप्त हुए हैं, जो जनवरी 2022 में क्षेत्र की क्षमता का संकेत दे रहा है। एलजी ने संकेत दिया है कि यूटी अगले छह महीनों में 70,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने की उम्मीद कर रहा है। यह आजादी के पिछले 75 वर्षों में कुल 15,000 करोड़ रुपये के निवेश की तुलना में बहुत बड़ी धनराशि है।

एलजी के इस साल दुबई जाने के बाद, संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग और सऊदी अरब की 33 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संयुक्त अरब अमीरात का 40 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चार दिवसीय (20-23 मार्च) यात्रा में भाग ले रहा है।

सेंचुरी फाइनेंशियल के सीईओ, बाल कृष्ण सऊदी सीईओ के साथ खाड़ी के व्यापारियों के इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल में रियल एस्टेट और वाणिज्यिक व्यापारिक उद्योगों के प्रमुख व्यवसायी शामिल हैं और यह पहली बार है, जब सऊदी के निवेशकों ने जम्मू-कश्मीर में रुचि ली है।

जम्मू-कश्मीर अब विकास के रास्ते पर अग्रसर है और यह क्षेत्र अब गति प्राप्त कर रहा है। अब यहां वाणिज्यिक पर्यटन स्थल से निवेश और अवसरों के बारे में आकलन किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन आतिथ्य, पर्यटन और उद्यमिता क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ प्रतिनिधिमंडल को निवेश के अवसर प्रदर्शित करेगा। प्रतिनिधिमंडल में सीमेंट, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और फाइबर और केबल के निर्माण में शामिल उद्योगपति शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल की सूची में अस्पताल, होटल, कृषि-उद्योग, आईटी और बागवानी विकास भी प्राथमिकता के साथ हैं।

यूएई प्रतिनिधिमंडल प्रमुख सचिव (उद्योग और वाणिज्य), जम्मू-कश्मीर प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ ही उपराज्यपाल से भी मुलाकात कर रहा है, ताकि वैश्विक व्यापार परि²श्य और उद्योग के हालिया विकास के साथ यूटी की सहायता की जा सके। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद, निवेशक यूटी की यात्रा करने और व्यावसायिक निर्णय लेने में सहज महसूस कर रहे हैं। जीसीसी का रवैया, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर की निवेश क्षमता को भुनाने में अमीराती निवेशकों की गहरी दिलचस्पी यूरोपीय, अमेरिकी और जापानी निवेशों के लिए विश्वास और खुले द्वार को बढ़ावा देगी।

जम्मू-कश्मीर में संयुक्त अरब अमीरात के इरादे पाकिस्तान की आतंकी विचारधारा की तुलना में यूटी के विकास में उनकी वास्तविक रुचि के माध्यम से स्पष्ट हैं, जो घाटी में सभी आतंकवादी योजनाओं के तहत संचालित होती है। यह बैठक कश्मीर मुद्दे पर ओआईसी में भारत को बदनाम करने की पाकिस्तान की कोशिशों को अस्थिर कर देगी।

सोमवार को कंपनियों के सीईओ के लिए एलजी द्वारा श्रीनगर में एक रात्रिभोज और परी महल की यात्रा का आयोजन किया गया था। कश्मीर एक असुरक्षित जगह है, इस गलतफहमी को दूर करने के लिए समूह अपनी पसंद के अनुसार कश्मीर के सभी कोनों का दौरा कर रहा है। कारोबारी माहौल का जायजा लेने के लिए मंगलवार को शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में स्थानीय व्यापारियों से बातचीत की गई। पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे पर्यटन स्थलों के लिए निजी निवेश पर बातचीत चल रही है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और पंपोर सोने की अन्य खदानें हैं जहां निवेशकों को 5,000 कनाल सरकारी जमीन दी जाएगी।

कुछ समय पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वर्ष 2022-23 के लिए जम्मू-कश्मीर के लिए 1.12 लाख करोड़ रुपये (13.33 अरब अमेरिकी डॉलर) का बजट पेश किया था, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और क्षेत्र में रोजगार पैदा करना है। वहीं अगर पड़ोसी देश से तुलना की जाए तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का 2021-22 में सालाना बजट 141 अरब पाकिस्तानी रुपये था, जो कि महज 78.55 मीलियन अमेरिकी डॉलर था। इसका मतलब है कि पीओके को इस्लामाबाद के अनुदान की तुलना में नई दिल्ली ने जम्मू-कश्मीर को लगभग पांच गुना अधिक धन आवंटित किया है।

विडंबना यह है कि इस्लामाबाद, जैसा कि हम जानते ही हैं, ओआईसी शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रशासित कश्मीर के संबंध में भारत की छवि को खराब कर रहा है, यह पीओके को केवल अपनी कॉलोनी के रूप में देख रहा है, जिसमें विकास के कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं, बल्कि यह केवल प्रशिक्षण शिविरों के लिए एक प्रजनन स्थल और आतंकवादी संगठनों के लिए लॉन्चपैड है। पीओके के 40 लाख निवासियों के पास बुनियादी मानवीय सुविधाओं का अभाव है और उन्हें कभी भी राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी गई है।

पीओके से कुछ ही दूरी पर, जम्मू-कश्मीर ने पहले ही 26,000 करोड़ रुपये से अधिक के औद्योगिक निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है और अगले छह महीनों में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश मिलने की उम्मीद है। पाकिस्तानी दुष्प्रचार ने हमेशा लोगों को, विशेषकर मुसलमानों और बाकी दुनिया को कश्मीर की काल्पनिक बुरी स्थिति के बारे में बरगलाते हुए धोखा दिया है।

भारत संयुक्त अरब अमीरात के लिए दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2019-20 में दोनों के बीच लगभग 60 अरब डॉलर (4,45,602 करोड़ रुपये) का विदेशी व्यापार था। अगले 5 से 8 वर्षों में सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता) से दोनों देशों के बीच वाणिज्य को 60 अरब डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने की भविष्यवाणी की गई है। यह दोनों राष्ट्रों के बीच गहरे संबंधों का प्रमाण है।

दुबई एक्सपो 2020 में जम्मू-कश्मीर ने जनवरी, 2022 में क्षेत्र के रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचे, पर्यटन और स्वास्थ्य सेवा, जनशक्ति रोजगार क्षेत्रों में निवेश लाने के लिए छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।

दुबई बंदरगाहों की दिग्गज कंपनी डीपी वल्र्ड ने जम्मू-कश्मीर में निवेश करने की अपनी प्रतिबद्धता के रूप में यूटी में एक अंतर्देशीय बंदरगाह बनाने का प्रस्ताव रखा है। इन कदमों का जम्मू-कश्मीर के व्यापार और वाणिज्य के विकास में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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