देवेगौड़ा परिवार में पारिवारिक कलह खत्म होने के बाद कर्नाटक में जद(एस) किंगमेकर बनने को लेकर आश्वस्त है। पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के बेटे एच.डी. कुमारस्वामी, जिन्होंने अकेले ही राष्ट्रीय दलों, कांग्रेस और भाजपा के हमले का सामना किया, आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।
पार्टी, जो दक्षिण कर्नाटक में अधिकतम सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है, उत्तर कर्नाटक में भी दोहरे अंकों में सीटें जीतने के बारे में आश्वस्त है।
ऐसा लगता है कि जद(एस) के लिए सब कुछ सही समय पर हो गया है। देवगौड़ा की बहू भवानी रेवन्ना ने हासन सीट से टिकट की मांग की। भवानी रेवन्ना के बेटों -- सांसद प्रज्वल रेवन्ना, एमएलसी सूरज रेवन्ना ने भी अपनी मां की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
इससे पहले सूरज रेवन्ना ने अपने चाचा कुमारस्वामी पर हमला बोला था। कुमारस्वामी भवानी रेवन्ना को टिकट देने को तैयार नहीं थे। आखिरकार, भवानी रेवन्ना पीछे हट गयी और हासन से स्वरूप प्रकाश को टिकट दिया गया।
स्वरूप प्रकाश का समर्थन करने के लिए अब भवानी रेवन्ना खुलकर सामने आई हैं और एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने पार्टी की एकता और प्रकाश को जिताने के अपने संकल्प पर जोर दिया। इससे जद(एस) कार्यकर्ताओं में सही समय पर सही संदेश गया है।
जद (एस) कानूनी सेल के प्रमुख और अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष ए.पी. रंगनाथ ने आईएएनएस को बताया कि पिछले साल तक जद (एस) का लक्ष्य किंगमेकर बनना था। उन्होंने कहा, 2023 में, अब हम राजा हैं। राष्ट्रीय दलों -- कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ जद(स) चुनाव जीतने के लिएपूरी तरह तैयार है।
हम राज्य में 1993 का ट्रेंड देख रहे हैं। एचडी देवेगौड़ा का भावनात्मक मुद्दा है। वोक्कालिगा जानते हैं कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को तब तक सीएम नहीं बनाया जाएगा जब तक पार्टी में सिद्दारमैया हैं।
रंगनाथ ने कहा, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हिजाब, हलाल का संकट और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) जैसे विवादों से राज्य अराजकता में था, तब कुमारस्वामी अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के लिए एक आवाज बन गए थे। चुनाव में इसका भरपूर फायदा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि कुमारस्वामी तब एक स्वर में बोले। कांग्रेस में, सिद्दारमैया और शिवकुमार ने बहुमत के वोट खोने के डर से अलग-अलग बात की। उन्होंने कहा, हम मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए ²ढ़ और प्रतिबद्ध थे।
रंगनाथ ने कहा कि देवगौड़ा द्वारा किए गए सिंचाई कार्य के कारण कर्नाटक के रायचूर, बीदर, कलबुर्गी और बीदर जिलों के लोग हमेशा जद-एस के साथ हैं।
उन्होंने कहा, पार्टी हमेशा क्षेत्र से 1 या 2 सीटें जीतती थी। हालांकि इस बार प्रत्याशी ये सोच कर आ रहे हैं कि वो जीतेंगे ही। उत्तर कर्नाटक के जिलों में जद-एस 36 से 40 सीटें जीतने जा रही है। भाजपा के मजबूत आधार माने जाने वाले भटकल निर्वाचन क्षेत्र में भी नामांकन दाखिल करने के दौरान भारी भीड़ ने तटीय कर्नाटक क्षेत्र में भी उम्मीद जगाई है।
बेंगलुरु में, पार्टी पांच सीटें जीतने के लिए पूरी तरह तैयार है। दशरहल्ली सीट पर जद-एस का कब्जा है और वह इसे बरकरार रखेगी। येलहंका, यशवंतपुर, गांधीनगर और बसवानागुडी निर्वाचन क्षेत्रों पर जद-एस का कब्जा होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरू ग्रामीण में अनेकल निर्वाचन क्षेत्र भी पार्टी जीतेगी।
पूर्व सीएम एच.डी. कुमारस्वामी ने राष्ट्रीय दलों को चुनौती दी थी कि चुनाव के बाद उन्हें उनके दरवाजे पर आना होगा। जैसे-जैसे मतदान करीब आ रहा है, वह और अधिक आश्वस्त होते जा रहे हैं।
पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के बीजेपी से बाहर होने के बाद कुमारस्वामी ने कहा था कि उनकी पार्टी के पास इतने मजबूत नेता नहीं हैं जो आत्मविश्वास से भरे हों। कुमारस्वामी मुख्यमंत्री के रूप में अपने 20 महीने और 13 महीने के शासन पर निर्भर हैं।
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Source : IANS