बिहार के अधिकांश जिलों में मौसम में आए बदलाव से लीची के किसानों को राहत मिली है। आसमान पर छाए बादल और हल्की और माध्यम दर्जे की बारिश से तेज धूप और तापमान से झुलस रही लीची को संजीवनी मिल गई है।
मुजफ्फरपुर के लीची किसानों का मानना है कि बढ़ते तापमान और गर्म हवा से पेड़ में लगे लीची के फल फट रहे थे। अब लाल रंग ले रही लीची के फलों के फटने का खतरा कम हो गया है।
उन्होंने कहा कि जो फल पहले लगे हैं और जो फट गए हैं, वे तो नहीं सुधरेंगे, लेकिन अब फलों के फटने की संभावना नहीं है। ऐसे में किसान अधिक फसल को लेकर आशान्वित हैं।
अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के सह निदेशक अनुसन्धान डॉ एस.के. सिंह का मानना है कि लीची के लिए अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। जबकि एक सप्ताह पूर्व इस इलाके का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया था।
किसानों की शिकायत थी कि सिंचाई करने पर भी 24 घंटे बाद ही नमी खत्म हो जा रही थी, जिससे फल का विकास रुक गया था।
सिंह कहते हैं कि तापमान अधिक होने के कारण फलों में गुदा कम होता है जबकि गुठली का आकार बड़ा हो जाएगा। इधर, तापमान में आई गिरावट और बारिश से फलों को काफी लाभ होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पेड़ की जड़ों तक भी नमी पहुंच गई है।
इधर, मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले एक सप्ताह में आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे और मौसम सुहावना बना रहेगा। ऐसे में अधिकतम तापमान में बहुत ज्यादा वृद्धि की उम्मीद नहीं है।
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Source : IANS