झारखंड के लोहरदगा जिले में जमीन की खुदाई के दौरान अत्यंत प्राचीन हथियारों और औजारों का जखीरा मिला है। तीर-धनुष, कुल्हाड़ी, भाला, कुदाल, फरसा सहित कई अन्य सामान मिलने के बाद जिला प्रशासन ने इनके सैंपल पुरातात्विक जांच के लिए संबंधित विभाग के पास भेजे हैं। सभी हथियार और औजार लोहे, पीतल और अन्य धातुओं के हैं।
बताया गया कि लोहरदगा सदर प्रखंड अंतर्गत बमनडीहा गांव में सुमंत टाना भगत अपनी जमीन पर जेसीबी से खुदाई करवा रहे थे, तभी ये चीजें बाहर आईं। पहली नजर में ये हथियार अत्यंत प्राचीन काल के लग रहे हैं। जिला प्रशासन ने सभी वस्तुओं को सुरक्षित रखवा दिया है। इनकी सैंपलिंग और परीक्षण से ही इनके काल का निर्धारण हो पाएगा। ये वस्तुएं पुरातात्विक महत्व की पाई गईं तो विशेषज्ञों की निगरानी में इलाके में खुदाई पर विचार किया जा सकता है।
बता दें कि लोहरदगा और गुमला के कई इलाकों में असुर जनजाति बहुतायत में निवास करती है, जिनका परंपरागत पेशा अत्यंत प्राचीन तकनीक के जरिए मिट्टी में मौजूद लौह कण से लोहे और पीतल की वस्तुएं बनाने का रहा है। लोहरदगा एसडीएम अरविंद कुमार लाल ने कहा कि संभव है कि ये वस्तुएं प्राचीन काल में इसी जनजाति के लोगों द्वारा बनाई गई हों। हालांकि इस संबंध में कुछ भी प्रामाणिक तौर पर नहीं कहा जा सकता।
बीते दिसंबर महीने में लोहरदगा से सटे गुमला जिले के सिसई प्रखंड स्थित ऐतिहासिक नवरत्न गढ़ की पुरातात्विक खुदाई में अत्यंत प्राचीन भूमिगत महल की संरचना प्राप्त हुई थी। अनुमान है कि जमीन के अंदर बनाया गया यह महल लगभग साढ़े पांच सौ से छह साल पुराना है। महल और उसके पास-पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा खुदाई अब भी जारी है। यहां भी ऐतिहासिक महत्व के कई पुरावशेष मिले हैं।
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Source : IANS