जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने 22 महीने की छोटी सी अवधि में पांच राज्यों के उन 61 जिलों में 97 लाख से अधिक घरों में नल के पानी की आपूर्ति की है, जो जापानी इंसेफेलाइटिस-एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (जेई-एईएस) से प्रभावित हैं।
जेई-एईएस प्रभावित प्राथमिकता वाले पांच राज्य हैं- असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। 15 अगस्त, 2019 को, जब जेजेएम की घोषणा की गई थी, पांच राज्यों के 61 जेई-एईएस प्रभावित जिलों में केवल 8.02 लाख (2.67 प्रतिशत) घरों में नल के पानी की आपूर्ति होती थी।
पिछले 22 महीनों में इन जिलों के 97.41 लाख अतिरिक्त घरों में नल के पानी के कनेक्शन दिए गए हैं।
जलशक्ति मंत्रालय ने कहा, अब, 1.05 करोड़ (35 प्रतिशत) परिवारों ने जेई-एईएस प्रभावित जिलों में नल के पानी की आपूर्ति का आश्वासन दिया है। जेई-एईएस प्राथमिकता वाले जिलों में घरेलू नल के पानी के कनेक्शन में यह 32 प्रतिशत की वृद्धि राष्ट्रीय औसत वृद्धि से लगभग 12 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि के दौरान देशभर में नल के पानी की आपूर्ति में 23.43 प्रतिशत वृद्धि हुई।
जेई-एईएस प्रभावित प्राथमिकता वाले जिलों के लिए विशिष्ट धनराशि पेयजल स्रोतों और जल प्रदूषण की सीमा के आधार पर आवंटित की जाती है।
जेई-एईएस एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। यह रोग ज्यादातर बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है, जिससे रुग्णता और मृत्युदर बढ़ सकती है। ये संक्रमण विशेष रूप से गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि के कुपोषित बच्चों को प्रभावित करते हैं।
केंद्रीय जल शक्तिमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इन पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्रों में जेई-एईएस प्रभावित जिलों, एससी/एसटी बहुसंख्यक गांवों के सभी घरों में नल का पानी उपलब्ध कराने को कहा है।
इन पांच राज्यों में, बिहार ने अपने 15 जेई-एईएस प्राथमिकता वाले जिलों में ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराने में अच्छा प्रदर्शन किया है। इन जिलों में औसतन 85.53 प्रतिशत नल के पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। नालंदा में 96 फीसदी नल जल आपूर्ति कनेक्शन हैं, इसके बाद सारण और गोपालगंज में 94 फीसदी, वैशाली और सीवान में 91 फीसदी, पश्चिम चंपारण में 84 फीसदी और पूर्वी चंपारण में 80 फीसदी कनेक्शन हैं।
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Source : IANS