Delhi Violence : दिल्ली के खजूरी खास के पास गामरी गांव की निवासी 85 वर्षीय अकबरी अपने परपोते-परपोती का चेहरा देखने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं लेकिन उनका यह सपना भीड़ के उन्माद की भेंट चढ़ गया जिसने उनके घर को आग लगा दी और उन्हें जिंदा जला दिया. अकबरी के सात बच्चों में से एक सलमानी ने बताया कि मंगलवार को वह दूध लाने बाहर गया था. उसने बताया, “लौटते वक्त मेरे बेटे ने मुझे फोन किया कि पेट्रोल बम और हाथ में लाठी लिए हुए भीड़ ने उनके घर को घेर लिया है. मेरी मां, पत्नी और तीन बच्चे दूसरी मंजिल पर थे. मैंने उन्हें फोन कर छत पर भागने को कहा.” स्थानीय लोगों के मुताबिक, भीड़ ने भूतल को आग लगा दी और दूसरी एवं तीसरी मंजिल पर पेट्रोल बम फेंके. भूतल गोदाम के तौर पर इस्तेमाल होता था.
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सलमानी ने कहा, “मेरे 10 मजदूर घटना के वक्त भूतल पर मौजूद थे. वे भी छत की तरफ भागे. बाद में मेरे बेटे ने देखा कि मेरी मां गायब है और उसने नीचे की तरफ जाने की कोशिश की. लेकिन तब तक पूरा घर धुएं से भर गया था. जब तक वे छत से नीचे आए, मेरी मां की मौत हो चुकी थी.’’ सलमानी और भाई-बहनों के लिए उनकी मां किसी नायक से कम नहीं थी. उत्तर प्रदेश के मेरठ के पास चंदुआरी गांव की रहने वाली अकबरी ने 40 वर्ष पहले अपना पति खो दिया था और अपने सात बच्चों के पालन-पोषण के लिए उन्होंने श्रमिक के तौर पर काम किया.
उसने बताया, “मेरा एक करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. दंगाइयों ने आभूषण और आठ लाख रुपये नकद लूट लिए. मैं महज 250 रुपये लेकर दिल्ली आया था और इस पैसे से कारोबार शुरू किया था. मेरा सबकुछ चला गया लेकिन सबसे अनमोल मेरी मां को मैंने खो दिया.”
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परिवार जीटीबी अस्पताल से अकबरी का शव मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है. उसी वक्त सलमानी का बड़ा बेटा एक निजी अस्पताल में था जहां उसकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया है. शोकसंतप्त परिवार कोई जश्न नहीं मना रहा लेकिन खुद को सांत्वना दे रहे हैं कि अकबरी बच्ची के रूप में लौट आई हैं. बुरी तरह से जला घर अब पड़ोसियों के लिए खतरा बन गया है और अग्निशमन अधिकारियों ने आगाह किया है कि किसी दुर्घटना को रोकने के लिए इस घर को गिराना होगा.
Source : Bhasha