75th Independence Day: इतिहास, महत्ता और दुर्लभ तथ्य

गुलाम भारत को आजाद कराने का संघर्ष जिसे हम आजादी की जंग कहते हैं महात्मा गांधी के नेतृत्व तले प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही शुरू हो गया था.

गुलाम भारत को आजाद कराने का संघर्ष जिसे हम आजादी की जंग कहते हैं महात्मा गांधी के नेतृत्व तले प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही शुरू हो गया था.

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Nihar Saxena
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तिरंगा याद दिलाता है आजादी के लिए कुर्बानियां देने वालों की. ( Photo Credit : न्यूज नेशन)

रविवार यानी 15 अगस्त 2021 को भारत अपने स्वाधीनता दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है. भारत को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के 200 साल के शासन के बाद आजादी मिली. गुलाम भारत को आजाद कराने का संघर्ष जिसे हम आजादी की जंग कहते हैं महात्मा गांधी के नेतृत्व तले प्रथम विश्वयुद्ध के समय से ही शुरू हो गया था. इस जंग में लाखों हिंदुस्तानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी और अपने वीरता के कारनामों से अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए अंततः विवश कर दिया. इस राष्ट्रीय उत्सव की घड़ी में आइए जानते हैं स्वाधीनता दिवस का इतिहास, महत्व और कुछ दुर्लभ तथ्य.

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इतिहास
ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमंस में 4 जुलाई 1947 को भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा बिल पेश किया गया. इसे एक पखवाड़े के भीतर ही पारित भी कर दिया गया. इसके तहत भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया गया. यह अलग बात है कि आजादी भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की त्रासदी के साथ मिली. भारत को आजादी दिलाने में जिन नायकों की चर्चा होती है. उनमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, भगत सिंह. चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस आदि के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं. हालांकि इनके अलावा सैकड़ों-हजारों और भी हैं, जिन्होंने मातृभूमि को आजाद कराने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. 

आजाद भारत का महत्ता
आजाद भारत की खुली हवा में सांस लेने वाले प्रत्येक भारतीय को स्वाधीनता दिवस यही याद दिलाता है कि ब्रितानी हुकूमत की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. इसी कारण से 15 अगस्त पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है. इस राष्ट्रीय पर्व को देश भर में तिरंगा फहरा, परेड निकाल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर मनाया जाता है. भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले के लाहौरी गेट पर 15 अगस्त 1947 को तिरंगा फहराया था. इसके बाद लाल किले की प्राचीर से हर तत्कालीन प्रधानमंत्री तिरंगा फहराता है. फिर राष्ट्र के नाम संबोधन करता है. 

कुछ दुर्लभ तथ्य

    • 1911 में नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने 'भारतो भाग्यो बिधाता' गीत लिखा था. इसे ही संविधान सभा ने 24 अगस्त 1950 को 'जन गण मन' के रूप में राष्ट्रगान बतौर अपनाया.
    • लाल, पीली और हरी पट्टी वाले तिरंगे को पहली बार 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बाग चौक पर फहराया गया. भारत के हालिया तिरंगे को स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वैंकेया ने 1921 में डिजाइन किया था. यानी केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियों वाला हमारा अपना राष्ट्रीय ध्वज. इसके बीच में अशोक चक्र है. इसे 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज बतौर अंगीकार किया गया और इसे 15 अगस्त 1947 को फहराया गया.  
    • हमारा प्यारा तिरंगा पूरे देश में सिर्फ एक ही जगह से बनकर जाता है और वह कर्नाटक के धारीवाड़ में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ. पूरे देश में सिर्फ इसी के पास राष्ट्रध्वाज को बनाने और फिर उसकी आपूर्ति करने का अधिकार हैं. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक राष्ट्रीय ध्वज सिर्फ हाथ से बुनी और काती गई खादी से ही बनता है.
    • भारत के साथ ही 5 अन्य देशों को भी आजादी मिली थी. यानी ये देश भी भारत के साथ ही 15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस मनाते हैं. ये देश हैं बहरीन, उत्तरी कोरिया, दक्षिणी कोरिया, कांगो और लिख्टेंस्टाइन.
    • भारत को आजादी मिलने के काफी समय बाद भी गोवा पुर्तगाली कॉलोनी ही रही. 1961 इसे भारत के साथ शामिल किया गया. इस तरह गोवा भारत के साथ जुड़ने वाला सबसे आखिरी राज्य था. 

HIGHLIGHTS

  • हाउस ऑफ कॉमंस में 4 जुलाई 1947 को भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा बिल पेश
  • 'भारतो भाग्यो बिधाता' गीत को 'जन गण मन' के रूप में राष्ट्रगान बतौर अपनाया
  • 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बाग चौक पर पहली बार तिरंगा फहरा 
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