उत्तर प्रदेश की पुलिस पिछले दस सालों में अपनी कस्टडी में 742 बंदियों को संभाल नहीं पाई, नतीजा सैकड़ों बंदी पुलिस कस्टडी से फरार हो गए।
हालांकि पुलिस ने इन फरार बंदियों में से 621 बंदियों को दोबारा गिरफ्तार कर लिया। वहीं 17 बंदियों की फरार अवधि के दौरान ही मौत भी हो गई। अभी भी 104 बंदी पुलिस की कैद से दूर हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।
गृह विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, एक जनवरी, 2008 से 30 सितंबर 2017 तक लगभग दस साल में पुलिस कस्टडी से सबसे ज्यादा बंदी 151 लखनऊ जोन से भागे तो सबसे कम मेरठ जोन से 40 बंदी भागे।
फरार बंदियों को दोबारा गिरफ्तार करने की बात करें, तो इसमें भी लखनऊ जोन सबसे आगे रहा। यहां से 10 साल में 118 बंदी गिरफ्तार कर लिए गए, वहीं दो की फरार अवधि के दौरान मौत हो गई।
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गृह विभाग के अनुसार, 31 बंदी अभी फरार हैं। इसी प्रकार मेरठ जोन से पुलिस कस्टडी से भागे 40 में से 37 बंदियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें एक बंदी की मौत हो गई और दो की तलाश आज भी जारी है।
आगरा जोन से दस साल में पुलिस कस्टडी से 104 बंदी भागे, जिनमें 90 को पकड़ा गया और दो की फरार होने के दौरान मौत हो गई। फिलहाल पुलिस 12 की तलाश कर रही है। इलाहाबाद से 117 बंदी पुलिस कस्टडी से भागे, जिनमें से 101 की गिरफ्तारी हुई, 14 अब भी फरार हैं।
जानकारी के अनुसार, यूपी के आठ जोन आगरा, बरेली, इलाहाबाद, मेरठ, लखनऊ, कानपुर नगर, गोरखपुर और वाराणसी से दस साल में 742 बंदी पुलिस कस्टडी से फरार हुए। इन फरार बंदियों में 621 दोबारा गिरफ्तार हुए। वहीं 17 बंदियों की फरार अवधि के दौरान ही मौत हो गई और अभी भी 104 बंदी फरार हैं।
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Source : IANS