यकीनन आजादी के बाद इन 71 सालों का सफर ऐतिहासिक रहा है। इस दरम्यान भारत ने ढेरों कीर्तिमान बनाए हैं। अंतरिक्ष, सेना, खाद्यान उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा जैसे ढेरों क्षेत्रों में भारत का सफर सुनहरा रहा है। कभी तीसरी दुनिया का हिस्सा रहा भारत आज तेजी से उभरती बड़ी ताकत है।
साल दर साल बदलता रहा भारत
आजादी के वक्त मुल्क में बड़े पैमाने पर आर्थिक पिछड़ापन, गरीबी, निरक्षरता, महामारी थी। 1950 में देश की साक्षरता दर 18 फीसदी, आज करीब 76 फीसदी है। आजादी के समय हर भारतीय की औसत आयु 32 साल थी, आज 68 वर्ष के पार है। 60 के दशक में देश को हरित क्रांति मिली। नतीजतन आजादी के वक्त 50 मिलियन टन अनाज पैदा होता था, बाकी मुल्कों पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन आज रिकार्ड 280 मिलियन टन अनाज पैदा हो रहा है। उस वक्त देश की 52 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी, आज 22 फीसदी बीपीएल हैं। तब जीडीपी 2.7 लाख करोड़ थी लेकिन 2015—16 में जीडीपी जहां 137 लाख करोड़ रूपए तक पहुंच चुकी है। दावा है कि अगले 13—14 सालों में ये बढ़कर 496 लाख करोड़ रूपए हो जाएगी और भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका होगा। अंतर साफ समझ आता है।
ढांचागत विकास पर रहा जोर
आजादी के साथ ही भारत की तस्वीर सुधारने पर जोर रहा। भारत में एक मजबूत ढांचा विकसित करने का प्रयास लगातार जारी रहा। चन्द्रयान से लेकर मंगलयान की सफलता हो या फिर सैटलाइट प्रक्षेपण में बादशाहत हासिल करना हो। या फिर मजबूत आर्थिक शक्ति के तौर पर उभरने का सफर ही क्यों ना हो, भारत ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। मसलन, 1950 में देशभर में 578 कॉलेज थे, जबकि आज मुल्क में 850 से ज्यादा यूनिवर्सिटी और 40 हजार से ज्यादा कॉलेज हैं। इसी तरह 1950 में देशभर में केवल 5072 बैंक शाखाएं थी जबकि कुछ साल पहले तक देश में 1 लाख 32 हजार से ज्यादा बैंक शाखाएं खुल चुकी हैं। 5498 बैंक शाखा तो अकेले साल 2013—14 में ही खुलीं। आजादी के वक्त देश के कई शहरों तक में बिजली नहीं थी, जबकि आज देश के सभी 6 लाख गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है। 50 के दौर में केवल 3.60 लाख लोग आयकर जमा करते थे जबकि आज 8 करोड़ से ज्यादा लोग आयकर जमा करते हैं। 71 सालों के विकास का अंदाजा इस बात से भी लग सकता है कि आजादी के वक्त देश की प्रति व्यक्ति आय 250 रूपए थी जो आज बढ़कर 1 लाख रूपए से ज्यादा हो चुकी है।
अच्छी बात ये भी कि इन 71 सालों में कई देशों में लोकतंत्र पटरी से उतरा, लेकिन भारत में कायम रहा। यकीनन इन बीते 7 दशक में मुल्क ने काफी कुछ हासिल किया है, लेकिन गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता जैसी कई चुनौतियां अभी भी सामने हैं। लेकिन भरोसा है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र आगे बढ़ता रहेगा और पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति के चेहरे पर भी जल्द ही खुशी देखने को मिल सकेगी।
Source : Anurag Dixit