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आजादी के 70 साल: 15 अगस्त 1947 को नेहरू ने दिया ये भाषण, 20वीं सदी की प्रभावशाली स्पीच में है शुमार

आजादी के दिन रात 12 बजे संविधान सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पं. जवाहर लाल नेहरू ने भाषण दिया जिसका नाम 'Tryst with Destiny' रखा गया। इसका मतलब है भाग्य के साथ प्रयास।

आजादी के दिन रात 12 बजे संविधान सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पं. जवाहर लाल नेहरू ने भाषण दिया जिसका नाम 'Tryst with Destiny' रखा गया। इसका मतलब है भाग्य के साथ प्रयास।

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Narendra Hazari
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आजादी के 70 साल: 15 अगस्त 1947 को नेहरू ने दिया ये भाषण, 20वीं सदी की प्रभावशाली स्पीच में है शुमार

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (फाइल)

आजादी के दिन रात 12 बजे संविधान सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पं. जवाहर लाल नेहरू ने भाषण दिया जिसका नाम 'Tryst with Destiny' रखा गया। इसका मतलब है भाग्य के साथ प्रयास। नेहरू का यह भाषण आजाद भारत के इतिहास में दर्ज हो गया।

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नेहरू ने इस भाषण में आजाद भारत की दिशा और पथ दोनों ही तय कर दिए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था, 'अच्छे और बुरे दोनों समय में भारत ने न तो कभी अपनी खोज की दृष्टि खोई है न ही उसे ताकत देने वाले आदर्शों को भूला है। हमारे दुर्भाग्य की समयावधि खत्म हुई है, अब भारत अपनी खोज फिर कर लेगा।'

संविधान सभा में 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि नेहरू ने जो बोला उसे 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली भाषणों की सूची में रखा गया। आइए हम बताते हैं आपको इस स्पीच के कुछ खास बिंदू।

(ये पॉइंट्स जवाहर लाल नेहरू की इंग्लिश स्पीच से ट्रांसलेट किए गए हैं)

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1. नियति में लिखा दिन आ गया है, भारत एक लंबी नींद और संघर्ष के बाद आगे के लिए फिर से जागा है। भारत जीवंत, मुक्त और स्वतंत्र खड़ा है। हमारा भूत हमें जरूर जकड़े हुए है लेकिन हमारी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए हमें संघर्ष करना होगा।

2. हमारे लिए नए सिरे से इतिहास शुरू हो गया है। इस इतिहास को हम बनाएंगे और दूसरे लिखेंगे।

3. भारत वासियों, एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए यह एक सौभाग्यपूर्ण समय है। पूर्व में स्वतंत्रता के नए तारे का उदय हुआ है। भविष्य में यह तारा कभी अस्त नहीं होगा और आशा कभी धूमिल नहीं होगी।

4. हम उस स्वतंत्रता का आनंद लेने जा रहे हैं जहां पर चारों ओर बादल हैं, लोग दुखी हैं, समस्यां जटिल हैं। लेकिन आजादी के साथ जिम्मेदारियां आती है और मुश्किलें भी। हमें इनका सामना स्वतंत्र और अनुशासित भाव से करना होगा।

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5. हम स्वतंत्रता के वास्तुकार राष्ट्रपति महात्मा गांधी को नमन करते हैं। गांधी ने ही स्वतंत्रता की मशाल उठाई और छाए हुए सभी अंधेरे को दूर किया। इतना ही नहीं इन्होंने भारत के पुराने गौरव को स्थापित किया है।

6. राष्ट्रपिता के संदेशों से हम नासमझी से भटक जाते हैं, लेकिन देश की आने वाली पीढ़िया उनके संदेशों को याद रखेगी। इनकी दी हुई इस स्वतंत्रता की मशाल को हम बुझने नहीं देंगे।

7. हम उन सभी वीरों को नमन करते हैं जिन्होंने बिना प्रशंशा या इनाम की चाह के जीवन पर्यंत भारत की सेवा की है।

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8. हम दुनिया के सभी लोगों के लिए शभकामनाएं देते हैं, उनके साथ हम शांति, स्वतंत्रता और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के लिए हम दृढ प्रतिज्ञ हैं।

9. हमारे देश की अत्यंत प्रचीन शाश्वत, प्रिय मातृभूमि को हम नमन करते हैं, हम नए सिरे से इसकी सेवा करने का संकल्प लेते हैं।

10. भविष्य हमारी ओर देख रहा है, हमें तय करना है कि हमे किस ओर जाना है। आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर के क्षेत्र में काम करना है। गरीबी अज्ञानता और बीमारी से लड़ना है। इसके बाद ही एक समृद्ध लोकतांत्रिक और प्रगतिशील राष्ट्र बन सकेगा।

Source : News Nation Bureau

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