रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर देश के नामचीन 51 बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। उन्होंने अपील की है कि म्यांमार में जारी हिंसा के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस न भेजा जाए।
इस खुले खत में म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचारों का हवाला दिया गया है। इस पर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 51 लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद शशि थरूर, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, पूर्व गृहमंत्री जीके पिल्लई, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़, पत्रकार करन थापर, सागरिका घोष, के अलावा अभिनेत्री स्वरा भास्कर के नाम शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है, 'रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजने के पीछे ये तर्क देना कि आने वाले समय में वो देश की सुरक्षा के लिये खतरा हो सकते हैं उसका तर्क ही गलत है। ऐसा ककुछ भी नहीं है और इसके पीछ जो तथ्य दिये जा रहे हैं वो आधारहीन हैं।'
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को रोहिंग्या को वापस भेजे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा और ये पत्र उसके ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री को भेजा गया है।
पत्र में कहा गया है कि अनुच्छेद 21 सभी व्यक्तियों को 'जीने का अधिकार' देता है, भले ही वो किसी भी देश का नागरिक हो। सरकार की विदेशी नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
पत्र में कहा गया है, 'हम भारतीय नागरिक होने का नाते एकजुट होकर आपसे अपील करते हैं कि भारत इस मुद्दे पर नई और मजबूत सोच के साथ आए। एक उभरती हुई वैश्विक ताकत से इस तरह की उम्मीद की जा सकती है। ऐसे में सिर्फ रोहिंग्या मुसलमानों की समस्याओं पर ही ध्यान न दिया जाए बल्कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा पर भी विचार करे जिसने उन्हें अपने देश से भागने पर मजबूर किया है।'
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पत्र में आराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी का हिंदुओं और बौद्धों पर किये गए हमले का भी जिक्र किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि कई सिविल सोसायटी के सदस्य और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की तरफ से भी रोहिंग्या शरणार्थियों को बलपूर्वक उनके देश वापस न भेजने की भारत से अपील की है।
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Source : News Nation Bureau