500 और 1000 रुपए के नोटों को 8 नवंबर को अवैध घोषित करने के बाद देश की जनता कैश की कमी से जूझ रही है। आज इस ऐलान के 50 दिन पूरे होने पर भी इस समस्या का निदान दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार लगातार डिजिटल ट्रांजेक्शन की ओर बढ़ावा देने की बात कर रहे है। लेकिन क्या सच में भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए तैयार है। आइये जानते है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था लागू करने में देश को किन चुनौतिया का सामना करना पड़ सकता है-
इंटरनेट और स्मार्टफोन की पंहुच से दूर
एसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की एक अरब जनता इंटरनेट की पंहुच से बाहर है, ऐसे में डिजिटल अर्थव्यवस्था का भविष्य कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। देश में स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों की संख्या केवल 24 करोड़ के करीब है। ऐसे मे पूरी तरह कैशलेस अर्थव्यवस्था लागू करना मुश्किल है। वहीं स्मार्टफोन की कीमतें भी लोगों को इसकी पहुंच से दूर कर देती है। वहीं केवल बातचीत के लिए फोन का प्रयोग करने वाले लोगों के लिए मोबाइल या इंटरनेट के जरिये पेमेंट करना भी काफी मुश्किल है।
साइबर सुरक्षा
अगस्त में 32 लाख उपभोक्ताओं के डाटा चोरी हो जाना इस बात का संकेत है कि हमें अपनी साइबर सुरक्षा के मामले में अभी बहुत पीछे है। हाल ही में एटीएम क्लोनिंग, बैंक डीटेल्स के लीक हो जाने जैसी शिकायतें अब आम हो गई है। जब तक साइबर सुरक्षा मजबूत नहीं होती, डिजिटल अर्थव्यवस्था को लागू करना एक परेशानी का सबब बना रहेगा।
इंटरनेट कनेक्टिविटी
कहने को देश में 4 जी जैसे इंटनेट की सुविधा उपलब्ध है लेकिन हकीकत ये है कि इंटरनेट की कनेक्टिविटी के मामले में भारत अभी भी बहुत पिछड़ा है। स्टेट ऑफ द इंटरनेट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, औसतन इंटरनेट स्पीड की ग्लोबल रैंकिग में भारत का स्थान 113वां है. भारत में औसतन इंटरनेट स्पीड 3.5MBPS है, जो कि दुनिया अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। कनेक्टिविटी के अलावा हमारे देश के डाटा पैक की मंहगी कीमतें भी डिजिटल अर्थव्यवस्था की राह में रोड़ा है।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर सरचार्ज
"जब कोई चीज कम दाम में मिले तो हम ये क्यों ले", जी, वॉशिंग पाउडर का ये एड ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में भी फिट बैठता है। कई जगह ऑनलाइन ट्राजेक्शन पर 15 फीसदी तक का सरचार्ज लगता है। ऐसे में दुकानदार ये सरचार्ज उपभोक्ता से वसूलते हैं, जो आपके सामान की कीमत को बढ़ा देता है।
बैंको में खाते
ई-वॉलेट या डेबिट-क्रेडिट कार्ड का प्रयोग तभी होगा जब बैंक में खाता हो। सरकार के कई प्रयासो के बावजूद आज भी दिहाडी काम करने वालों एक बहुत बड़ा तबका बैंकों की पहुंच से ही दूर है। वहीं परिवार के चार सदस्यों में बैंक में खाता सिर्फ एक का ही होता है। इससे भी जरुरी बात है कि क्या बैंक इस डिजिटल ट्राजेक्शन के लिए तैयार हैं? देश के ज्यादातर बैंक पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत और ऑनलाइन हो गए हैं। लेकिन सुदूर ग्रामीण इलाकों में अभी भी कई बैंकों की शाखाएं पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत नहीं हुई हैं।
Source : अदिति सिंह