गुजरात के वडोदरा में प्रतापनगर के मंडल रेल प्रबंधक के तत्कालीन मुख्य कार्यालय अधीक्षक अशोक प्रभुलाल बरोट को सीबीआई की विशेष अदालत ने रिश्वतखोरी के एक मामले में पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने 2015 में अशोक प्रभुलाल बरोट के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने एक शिकायतकर्ता से तीन अलग-अलग मामलों में उसकी मदद के लिए 5,250 रुपये की अवैध रिश्वत की मांग की थी।
आगे यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता को यह भी सूचित किया कि यदि रिश्वत का भुगतान नहीं किया गया तो निविदा कार्य के लिए उसकी लगभग 4.60 लाख रुपये की जमानत राशि जारी नहीं की जाएगी।
मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों की एक टीम बनाई थी। सीबीआई ने शिकायतकर्ता का बयान दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
जाल बिछाकर आरोपी को शिकायतकर्ता से पांच हजार रुपए की रिश्वत मांगते व लेते हुए पकड़ा गया।
सीबीआई ने मामले में विभिन्न गवाहों के बयान दर्ज किए और सबूत भी एकत्र किए।
सीबीआई ने उचित जांच के बाद 2015 में आरोपियों के खिलाफ फुलप्रूफ चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई अभियोजक और टीम सबूतों के आधार पर केस जीतने में सफल रही।
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ट्रायल कोर्ट ने पाया कि सीबीआई का मामला उनके आरोपों को साबित करने के लिए काफी अच्छा था। हमारी चार्जशीट आरोपी के अपराध को साबित करने में सक्षम थी। अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया। फिर उसे पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
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Source : IANS