तमिलनाडु के धर्मपुरी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस तृतीय वर्ष के चार छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने से निलंबित कर दिया गया है। द्वितीय वर्ष के छात्र ने कथित रैगिंग का शिकार होने के बाद आत्महत्या करने का प्रयास किया था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
कॉलेज ने दो हॉस्टल वार्डन को भी ड्यूटी में लापरवाही और छात्र को रैगिंग से बचाने में विफलता का हवाला देते हुए ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया।
हालांकि, दूसरे वर्ष की छात्रा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी के निलंबन पर अभिभावकों व छात्रों ने नाराजगी जताई है।
उन्होंने तमिलनाडु रैगिंग निषेध अधिनियम 1997 का हवाला दिया जो न केवल अपराधियों को बल्कि कॉलेज के अधिकारियों को भी सजा प्रदान करता ह, बल्कि जो रैगिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे।
मद्रास गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र के माता-पिता सेंथिलनाथन ने आईएएनएस को बताया कि रैगिंग एक दंडनीय कार्य है, जिसकी अवधि दो साल तक हो सकती है। उस पर एक लाख रुपये का जुमार्ना भी लगाया जा सकता है। फिर धर्मपुरी मेडिकल कॉलेज के अधिकारी उचित शिकायत क्यों नहीं कर रहे हैं ?
धर्मपुरी सरकारी मेडिकल कॉलेज के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।
आत्महत्या का प्रयास करने वाला 19 वर्षीय छात्र, हालांकि, गंभीर स्थिति से बाहर आ गया है और उसके माता-पिता उसे उसके पैतृक स्थान नमक्कल जिले के रासीपुरम में ले गए हैं।
हालांकि, किशोर ने चार तृतीय वर्ष के छात्रों के खिलाफ रैगिंग के लिए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे बाद में उन्होंने वापस ले लिया है।
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Source : IANS