नोएडा पुलिस ने एक ऐसे जालसाज को गिरफ्तार किया है, जिसने फर्जी आईडी के जरिए कई कंपनियां खोली, कंपनियों में एंप्लॉई के अकाउंट भी खोलें और उसके बाद बैंककर्मियों की मिलीभगत से अलग-अलग बैंकों से करीब 23 करोड़ लोन लिया।
इस जालसाज़ ने अलग-अलग व्यक्तियों की आईडी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बनाई। उसके कब्जे से फिंगरप्रिंट डिवाइस (सगेम कंपनी) व डाटा केबल, 1 आई स्कैनर बरामद किया गया है। पुलिस के मुताबिक उसकी पहचान मोहम्मद रफी, निवासी बिजनौर, के रूप में हुई है। उसे शिवानी फर्नीचर के पास सेक्टर-10, नोएडा से गिरफ्तार किया गया।
एडीसीपी शक्ति अवस्थी ने बताया कि रफीक ने फर्जी नामों से आधार कार्ड बनवाए। इससे उसने पैन कार्ड बनवाकर आरओसी में कंपनी रजिस्टर कराई। इसके अलावा बैंकों में आधार कार्ड के जरिए फर्जी खाते भी खुलवाएं। इन खातों में फर्जी कंपनी के खाते से सैलरी के रूप में धन ट्रांसफर किया गया। उसे वापस एटीएम से निकाल लिया गया। इसी तरह कई महीनों तक पैसा निकाला और खातों में ट्रांसफर किया गया। ताकि सिबिल स्कोर बेहतर बन सके।
उन्होंने बताया कि 6 से 7 महीने तक ऐसा करने से खाता धारक को लोन मिल सकता है। इसके बाद ऑनलाइन लोन के लिए अप्लाई करके कई तरह की फाइनेंस कंपनियों से कार, मोबाइल व अन्य वस्तुएं फाइनेंस कराई। लोन के रुपयों को एटीएम के माध्यम से निकालकर व फाइनेंस की वस्तुओं का गबन करके बैंक को वापस नहीं किया जाता था। क्योंकि यह सब फर्जी दस्तावेजों से किया जाता था।
उन्होंने बताया कि जालसाज लोन लेने का काम किराए के मकानों में रहकर करते थे। जीएचसीएल कंपनी (फर्जी कंपनी) में फ्रॉड का काम इन लोगों ने सेक्टर-119 में एक फ्लैट लेकर किया था। इन लोगों ने अभी तक एचडीएफसी सहित अन्य बैंकों से लगभग 23 करोड़ रुपए लोन के रूप में लिए और वापस नहीं किए। इन्होंने ईपीएफओ में कंपनी के कर्मचारी के खाते खुलवा रखे थे। और, समय-समय पर ईपीएफओ के खाते में पैसा जमा करते थे। जिससे कंपनी का अस्तित्व सही प्रतीत हो और लोन लेते समय किसी को शक न हो।
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Source : IANS