200 करोड़ की एफडी प्रकरण की जांच में प्राधिकरण के सीएफओ की संलिप्तता सामने आ रही है। इसके लिए प्राधिकरण के सीईओ की ओर से सीएफओ मनोज कुमार सिंह को निलंबन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
नोटिस में तीन दिन में प्रकरण पर जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर प्राधिकरण की ओर से उनके निलंबन की संस्तुति करते हुए विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को भेज दिया जाएगा।
बता दें इस मामले में प्राधिकरण की ओर से यह पहली कार्रवाई है। वहीं, बैंक ऑफ इंडिया की ओर में जमा 200 करोड़ रुपए प्राधिकरण को वापस मिल गए हैं। बैंक की ओर से इस राशि पर ब्याज का भुगतान करने के लिए भी आश्वासन दिया गया है। यही नहीं जालसाज से जो भी पत्राचार हुआ वो भी सीएफओ के जरिए ही किया गया। वो चाहे अनजाने में किया गया या जानबूझकर ये जवाब आने के बाद पता चल सकेगा।
दरअसल, अलग-अलग बैंकों में 400 करोड़ रुपए की एफडी कराने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने 13 जून को सभी बड़े बैंक को पत्र जारी किया था। यह एफडी एक साल एक दिन के लिए की जानी थी। प्रक्रिया के तहत 15 जून को मुख्य वित्त नियंत्रक मनोज कुमार सिंह के दफ्तर में दोपहर करीब 3 बजे बिड प्रक्रिया हुई। अलग-अलग बैंक की तरफ से ब्याज दर को लेकर भेजे गए सीलबंद लिफाफे खोले गए। इसमें यूनियन बैंक, केनरा बैंक ने सबसे अधिक ब्याज दर बताई।
बैंक ऑफ इंडिया के आए प्रतिनिधियों ने पहले तो इनकार कर दिया। लेकिन, कुछ देर बाद 7.66 ब्याज दर पर एफडी किए जाने का प्रस्ताव दिया। चर्चा है कि उसी दिन जो बाद में बैंक प्रतिनिधि बनकर आए वे जालसाज थे। जांच प्रकरण में शुरुआत से ही सीएफओ पर शक था। यहीं नहीं जालसाज से जो भी पत्राचार हुआ वो भी सीएफओ के जरिए ही किया गया। वो चाहे अनजाने में किया गया या जानबूझकर ये जवाब आने के बाद पता चल सकेगा।
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Source : IANS