पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले AAP को झटका, तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल

आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधायक सुखपाल खैहरा, पिरमल सिंह और जगदेव सिंह को कांग्रेस की सदस्यता दिलवाई.

आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधायक सुखपाल खैहरा, पिरमल सिंह और जगदेव सिंह को कांग्रेस की सदस्यता दिलवाई.

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Vineeta Mandal
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AAP के तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल

AAP के तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल( Photo Credit : सांकेतिक चित्र)

आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधायक सुखपाल खैहरा, पिरमल सिंह और जगदेव सिंह को कांग्रेस की सदस्यता दिलवाई. अमरिंद सिंह आज चंडीगढ़ से दिल्ली रवाना होने वाले हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री को आज कांग्रेस में कलह को शांत करने के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी से मिलने वाले हैं जो राज्यसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में बनी हुई है और इसमें पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और सीनियर नेता जय प्रकाश अग्रवाल भी शामिल हैं.

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आप के बागी और पूर्व नेता विपक्ष विधायक सुखपाल सिंह खैरा को पार्टीलाइन से अलग बोलने के कारण आप ने बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद उन्होंने पंजाब एकता पार्टी ने नए दल का गठन किया था. वहीं कांग्रेस छोड़ने के बाद खैरा ने सीएम अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के खिलाफ जमकर हमला बोला था. बता दें कि उन्होंने 2017 में पार्टी को अलविदा कहकर आम आदमी पार्टी का झाड़ू थाम लिया था.

बता दें कि कांग्रेस ने पंजाब कांग्रेस में मुद्दों को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वह कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे मजबूत मुख्यमंत्री पर जीत हासिल कर पाएगी. कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री के बीच के मुद्दों को सुलझाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और जेपी अग्रवाल की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. रावत कांग्रेस के पंजाब प्रभारी भी हैं.

सिद्धू मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए कह रहे हैं कि वह इंतजार कर रहे हैं क्योंकि आलाकमान ने हस्तक्षेप किया है. सिद्धू ने मुख्यमंत्री को अपने आरोप साबित करने की चुनौती दी.

लेकिन राजस्थान में समिति के भाग्य को देखकर असंतुष्ट समूह का कहना है कि यह समय खरीदने के लिए है क्योंकि बहुत कुछ अपेक्षित नहीं है और एआईसीसी मुख्यमंत्री को बदलने का जोखिम नहीं उठाएगी क्योंकि अकाली दल का सामना करने के लिए उनके कद का कोई नहीं है. बादल परिवार, कांग्रेस को बीच का रास्ता निकालना होगा क्योंकि 20 विधायक मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाखुश बताए जा रहे हैं.

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