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Terror Funding की जांच कर रही NIA के 3 अधिकारी जांच के घेरे में
टेरर फंडिंग मामले में जांच कर रही NIA के तीन अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं . इसमें एक एसपी स्तर के अधिकारी हैं. एनआईए (NIA) के इन तीन बड़े अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने आतंकियों को पैसे देने के मामले में नाम न आने देने के लिए दिल्ली के एक व्यापारी को ब्लैकमेल कर 2 करोड़ रुपए वसूल लिए. उस वक्त तीनों अधिकारी लश्कर-ए-तैय्यबा के चीफ हाफिज सईद की फलाह-ए -इंसानियत की जांच कर रहे थे. शिकायत मिलने के बाद एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है. शुरुआती तौर पर इन तीनों अधिकारियों का एनआईए से ट्रांसफर कर दिया गया है. एनआईए के डीआईजी रैंक के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं.
National Investigation Agency Spokesperson on alleged bribery charges against 3 NIA officers in connection with a terror funding case: An inquiry into the allegations is being conducted by a DIG rank officer.The 3 concerned officials transferred out to ensure a fair probe. pic.twitter.com/ZVB2q0eD9X
— ANI (@ANI) August 20, 2019
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का गठन 2008 में मुंबई हमलों के बाद 2009 में किया गया था. यह देश की अहम जांच एजेंसी है और गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है. स्थापना के कुछ ही वर्षों में कार्यकुशलता के बल पर NIA ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं.
एजेंसी के पास कुल 166 मामले
गठन के बाद से एजेंसी को 2017 तक 166 केस सौंपे गए थे. 63 मामले जिहादी आतंकवाद, 25 पूर्वोत्तर से जुड़े उग्रवादी संगठनों, 41 आतंकवादी मामलों में वित्तीय सहायता और नकली नोट, 13 मामले वामपंथ उग्रवाद जबकि शेष 24 मामले अन्य आतंकवादी घटनाओं और गैंग से जुड़े थे.
13 दिसंबर 2016 को इस एजेंसी को बड़ी सफलता तब मिली, जब हैदराबाद में NIA की विशेष अदालत ने प्रतिबंधित इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के पांच सदस्यों को हैदराबाद के दिलसुखनगर क्षेत्र में 21 फरवरी, 2013 को दोहरे विस्फोट के लिए दोषी करार दिया. 19 दिसंबर, 2016 को विशेष अदालत ने अभियोजन तथा बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पांचों दोषी अभियुक्तों को मौत की सजा सुना दी.
NIA की जिम्मेदारियां
एजेंसी की जांच में इलेक्ट्रॉनिक सूचना का विश्लेषण करना, आवाजों के नमूने लेना, अंतरराष्ट्रीय कॉल्स का ब्योरा हासिल करना, गवाहों से पूछताछ करना, बेहद जटिल डीएनएन प्रोफाइलिंग करना और एक वर्ष में जुटाए गए सभी सबूतों का निरीक्षण करना शामिल होता है. इसका विशेष अधिकारी दल द्वारा विश्लेषण किया जाता है.
Source : Rumaanullah Khan