कश्मीरी पंडितों के घाटी से विस्थापन की 27वीं बरसी पर जम्मू कश्मीर विधानसभा में आज सर्वसम्मति से घर वापसी के लिए एक प्रस्ताव पास किया गया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि घर वापसी करने वाले प्रवासियों के लिए घाटी में अनुकूल माहौल तैयार किया जाए।
कार्यवाही शुरू होते ही पूर्व मुख्यमंत्री अमर अब्दुल्ला ने कहा कि सदन को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कश्मीरी पंडितों, सिखों और अन्य प्रवासियों की घर वापसी के लिए एक प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए। जिसके बाद सदन ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दुर्भाग्यवश जम्मू कश्मीर में 27 साल पहले ऐसी परिस्थितियां बनीं कि कश्मीरी पंडित, सिख समुदाय और कुछ मुस्लिमों को घाटी छोड़कर कहीं और शरण लेना पड़ी।
इससे पहले अक्टूबर 2016 में आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा का आश्वासन देते हुए उन्हें अपने घरों में वापस लौटने के लिए कहा था।
साल 1990 में आतंकवाद की शुरूआत के बाद घाटी से ये लोग विस्थापित होने को मजबूर हो गए थे। हजारों कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे और तभी से वे जम्मू तथा देश के अन्य भागों में रह रहे हैं।