उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) के गठबंधन के बाद लोगों के मन में एक ही सवाल बार-बार उठ रहा है, क्या वह 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दे पाएगी? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें सिलसिलेवार तरीके से यूपी के जातीय समीकरण को समझना होगा क्योंकि समाजवादी पार्टी ओबीसी की राजनीति करती है और बहुजन समाजवादी पार्टी शोषित-पिछड़े और अनुसूचित जाति की. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ओबीसी का काफी वोट मिला था.
यह समुदाय राजनीतिक दलों के लिए कितना महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चुनावी रैलियों में पीएम मोदी अक्सर ख़ुद को ओबीसी समुदाय का बताते नज़र आ रहे थे.
पूरे देश में ओबीसी समुदाय का कुल प्रतिशत 40.84 है यानि की लगभग 41 प्रतिशत. वहीं यूपी में 42-45 प्रतिशत ओबीसी समुदाय के लोग हैं. जिनमें से यादव जाति के लोग 10-11 प्रतिशत, लोधी 3-4 प्रतिशत, कुर्मी 5-6 प्रतिशत, मौर्य 4-5 प्रतिशत अन्य 20 प्रतिशत है. वहीं अनुसूचित जाति की बात करें तो उनकी आबादी लगभग 21-22 प्रतिशत है जबकि मुस्लिमों की आबादी 17-18 प्रतिशत है.
यूपी में कुल 80 लोकसभा सीट है इसलिए किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह राज्य वोट के लिहाज़ से काफ़ी मायने रखता है. शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण क़ानून लाकर यह बताने की कोशिश की है कि वो अगड़ी जाति की शुभचिंतक है. ऐसे में ओबीसी-अनुसूचित जाति के नाम पर राजनीति करने वाले दलों का साथ आना बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है.
अब सवाल यह भी उठता है कि कांग्रेस इस गठबंधन के साथ नहीं है तो क्या इसका SP-BSP गठबंधन पर कोई बुरा असर होगा. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस के साथ नहीं आने से इस गठबंधन को फ़ायदा होगा क्योंकि कई अगड़ी जाति के लोग कांग्रेस के समर्थक हैं. ऐसे में अगर SP-BSP कांग्रेस के साथ जाती तो ओबीसी-अनुसूचित जाति के लोगों के मन में पूरी तरह से उनके हितैषी होने को लेकर सवाल खड़े हो सकते थे. वहीं कांग्रेस अकेले बीजेपी के सवर्ण वोट बैंक में सेंध लगा सकती है.
इस तरह से बीजेपी को सवर्ण और पिछड़ा वर्ग दोनों तरह से नुकसान झेलना होगा. हालांकि इन हालात में कांग्रेस और SP-BSP गठबंधन को मुस्लिम वोट बैंक के छिटकने का ख़तरा है लेकिन यह डर का विषय नहीं है. SP-BSP जानती है कि बीजेपी को मुस्लिम समुदाय के लोगों का वोट नहीं मिलने जा रहा है इसलिए यह उनके लिए कतई चिंता का विषय नहीं है.
यानी कि बीजेपी अब तक जो हिंदुत्व की राजनीति करती रही है अब उसमें जातिगत सेंध लगने वाला है. ज़ाहिर है कि अगर ऐसा हो पाया तो बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा चुनाव की राह आसान नहीं होगी. इस बात का अंदाज़ा पिछड़ी जाति के नाम पर राजनीति करने वाले सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के हालिया बयान से भी लगाया जा सकता है. शुक्रवार को गाजीपुर में उन्होंने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि केंद्र सरकार पिछड़ी जाति के 27 प्रतिशत आरक्षण में बंटवारा कर दे तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की हवा निकल जाएगी.
राजभर ने कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (BJP) चाहेगी तो वो महागंठबंधन में शामिल हो जाएंगे. अगर BJP नहीं चाहेगी तो वो गठबंधन में नहीं जाएंगे. ओमप्रकाश राजभर ने कहा, 'उन्हें सीट नहीं चाहिए. सरकार सिर्फ 27 प्रतिशत आरक्षण में बंटवारा कर दे तो कोई भी महागठबंधन बीजेपी गठबंधन को नहीं हरा सकता है.'
वहीं NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से नाराज चल रही अपना दल (एस) सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण को लेकर कहा कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए. यूपी सरकार एक का हिस्सा मारकर दूसरे को नहीं दे सकती. यूपी सरकार जातीय जनगणना कराकर संख्या के आधार पर आरक्षण दे. यूपी सरकार जातीय जनगणना न कराकर पिछड़ों को आपस में लड़ाना चाहती है.
इतना ही नहीं पटेल ने धमकी भरे लहज़े में कहा कि BJP की सरकार में सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं, नेताओं और मंत्रियों की उपेक्षा हो रही है. उनकी मांगों को सरकार नहीं सुन रही. सहयोगियों के उपेक्षा से 2019 का लोकसभा चुनाव गड़बड़ा सकता है.
ज़ाहिर है आरक्षण मुद्दे को लेकर NDA में शामिल छोटी क्षेत्रीय पार्टियां भी बीजेपी से सीधे मुंह बात नहीं करना चाहती.
हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समजावादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का गठबंधन स्वार्थ के लिए हुआ है. इसके लिए SP बड़ी उतावली भी थी. दोनों पार्टियों के एकसाथ आने उन्हें निपटाना BJP के लिए और भी आसान होगा. बसपा यदि गठबंधन में 10 सीटें भी देती तो भी SP लेने को तैयार थी. योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में BJP इस बार भी प्रचंड बहुमत से चुनाव में जीतेगी.
इन सबके बावजूद अगर बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक पर नज़र डालें तो पीएम मोदी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दोनों के भाषण में गठबंधन की चिंता साफ़ झलक रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठंबधन को 'अवसरवादी' बताते हुए आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट हो रहीं पार्टियां अपने अस्तित्व के लिए नकारात्मक राजनीति कर रही हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) 'फूट डालो, राज करो' या वोट बैंक बनाने की राजनीति नहीं करती है.
उन्होंने कहा, 'अन्य पार्टियों के विपरीत, हम फूट डालने और राज करने या वोट बैंक बनाने के लिए राजनीति में नहीं हैं. हम यहां हर संभव तरीके से देश की सेवा कर रहे हैं. आगामी चुनाव BJP और देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.'
मोदी ने कहा, "एक तरफ, हमारे पास विकास का अपना एजेंडा और 'सबका साथ, सबका विकास' का विजन है, वहीं दूसरी ओर अवसरवादी गठबंधन और वंशवादी पार्टियां हैं. वे अपना साम्राज्य बनाना चाहती हैं, जबकि हम लोगों को सशक्त बनाना चाहते हैं."
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की सफलता ने विपक्षी नेताओं को परेशान किया और यही कारण है कि वे नकारात्मक राजनीति में व्यस्त हैं.
वहीं अबतक गठबंधन से दूर रहने वाली कांग्रेस बीजेपी को राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर चुनौती दे रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 2019 के आम चुनाव में भ्रष्टाचार, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य बड़े मुद्दे होंगे. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर भ्रष्टाचार और राफेल मुद्दे को लेकर हमला बोला है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "सच्चाई यही है कि हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है. सच्चाई है कि बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. पूरा हिंदुस्तान जानता है, हर युवा जानता है. किसी भी युवा से पूछो कि क्या करते हो तो वह कहता है -कुछ नहीं करता हूं. यह तो सच्चाई है."
सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के मामले पर उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "सीबीआई प्रमुख को दो बार हटाने की जल्दी क्या थी. क्या जल्दी थी कि एक बार डेढ़ बजे रात प्रधानमंत्री लिख रहे थे कि सीबीआई प्रमुख को जल्दी हटाओ. फिर सर्वोच्च न्यायालय कहता है कि इनको वापस लाओ. और उसके कुछ घंटों के अंदर प्रधानमंत्री कहते हैं कि सीबीआई प्रमुख को फिर निकालो. क्यों? इसका क्या कारण है?"
उन्होंने कहा, "मैं बोलता हूं कि बेरोजगारी है. मैं कहता हूं कि प्रधानमंत्री ने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया - झूठ बोला उन्होंने. हर भाषण में कहते थे किसानों की मदद करूंगा, लेकिन नहीं किया. हमने कहा था कि हम 10 दिनों के अंदर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों का कर्ज माफ करेंगे. हमने दो दिन में कर दिया. हम जो सोचते हैं, वह करते हैं. जो हमारे दिल में होता है, हम वह बोलते हैं और वही करते हैं. हम झूठ नहीं बोलते."
साफ़ है कि कांग्रेस बीजेपी के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय मुद्दे को हथियार बना रही है वहीं SP-BSP गठबंधन जातिगत आधार पर सवर्ण आरक्षण को मुद्दा बनाना चाहेगी. ऐसे में बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा चुनाव के लिए 2014 चुनाव से इतर रास्ता तैयार करना होगा.
और पढ़ें- मायावती-अखिलेश के गठबंधन पर बोले चाचा शिवपाल, हमारे बिना अधूरा है 'साथ'
बता दें कि शनिवार को BSP प्रमुख मायावती और SP प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा लखनऊ में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की गई. गठबंधन के अनुसार, दोनों दल उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में 38-38 सीटों पर लड़ेंगे. गठबंधन से बाहर रखी गई कांग्रेस के लिए दो सीटें -राय बरेली और अमेठी- छोड़ दी गईं हैं.
Source : Deepak Singh Svaroci