1993 मुंबई ब्लास्ट का आरोपी मूसा 27 साल बाद गिरफ्तार, दुबई भागने की कर रहा था तैयारी

गुजरात एटीएस को खुफिया एजेंसियों से इस बात की जानकारी मिली थी कि वह भारत छोड़ दुबई भागने की फिराक में है

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
1993 मुंबई ब्लास्ट का आरोपी मूसा 27 साल बाद गिरफ्तार, दुबई भागने की कर रहा था तैयारी

मुनाफ हलारी मूसा( Photo Credit : फाइल)

गुजरात एटीएस ने सोमवार को 12 मार्च 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में फरार आरोपी मुनाफ हलारी मूसा को यहां छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ्तार कर लिया है. गुजरात एटीएस के अधिकारियों ने मीडिया को यह जानकारी दी. आपको बता दें कि मूसा पिछले 27 वर्षों से कानून की आंखों में धूल झोंकता आ रहा है. मूसा गुजरात पुलिस की वांछित सूची में था. पुलिस बीते कुछ वर्षो से उसकी ड्रग्स तस्करी के मामले में तलाश कर रही थी.

Advertisment

गुजरात एटीएस को खुफिया एजेंसियों से इस बात की जानकारी मिली थी कि वह भारत छोड़ दुबई भागने की फिराक में है जिसके बाद गुजरात एटीएस ने मूसा को पड़ने के लिए मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट पर जाल बिछाया. सोमवार की सुबह गुजरात एटीएस अपने प्लान के मुताबिक मूसा को गिरफ्तार करने में कामयाब रही. एक बयान में, गुजरात एटीएस के डीएसपी के.के पटेल ने कहा कि मूसा के पास से एक पाकिस्तानी पासपोर्ट बरामद किया गया है. आपको बता दें कि मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट में 260 लोग मारे गए थे.

आपको बता दें कि मुनाफ हलारी साल 1993 में मुंबई के सीरियल धमाकों के आरोपियों में से एक था उस पर मुंबई के जावेरी बाजार में धमाका करने का आरोप था. देश की जांच एजेंसियों को पिछले 27 सालों से मुनाफ मूसा की तलाश थी. वो लंबे समय से जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर बच निकल रहा था. आखिरकार गुजरात एटीएस ने लंबे समय बाद उसे धर दबोचा. 

यह भी पढ़ें-Exclusive: 1993 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड छोटा शकील मारा गया!

आपको बता दें कि इसके पहले मुंबई बम धमाके में टाटा कोर्ट ने अबु सलेम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. साथ ही अन्य आरोपियों में करीमुल्लाह को उम्र कैद और 2 लाख रुपये जुर्माना इसके अलावा ताहिर मर्चेंट को फांसी की सजा सुनाई गई है. मुंबई बम धमाके में करीब 260 लोग मारे गए थे और करीब 700 से ज़्यादा लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे. इस धमाके में 27 करोड़ रुपये की संपत्ति स्वाहा हो गई थी.

यह भी पढ़ें-1993 मुंबई धमाकाः 24 साल बाद मिला इंसाफ, जानें क्या थी प्लानिंग और कैसे दिया अंजाम?

जानें अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ था

1 जनवरी, 1993: मोहम्मद दौसा ने मुंबई के पनवेल में होटल पर्शियन दरबार में पहली बैठक बुलाई।

19 जनवरी, 1993: दाउद इब्राहिम और टाइगर मेमन ने दोबारा दुबई में एक बैठक रखी और धमाके की योजना का ब्लूप्रिंट तैयार किया। टाइगर ने आर्म्स और एम्युनिशेन और धमाके के लिए सामग्री जुटाने की ज़िम्मेदारी ली थी। धमाके के लिए हथियार और धमाके संबंधी सामग्री दुबई और पाकिस्तान से समुद्र के ज़रिए लाए गए थे।

2 फरवरी-8 फरवरी 1993: रायगढ़ जिले के शेखाड़ी तट पर आरडीएक्स जैसे हथियार, गोला-बारूद, डेटोनेटर, हाथ ग्रेनेड और विस्फोटकों की दो और खेप भेजी गई।

4 मार्च, 1993: टाइगर मेमन ने धमाके की तैयारी के लिए ताज महल होटल में बैठक बुलाई।

7 मार्च, 1993: इसके बाद शफी के घर एक और बैठक हुई जहां टाइगर मेमन ने लक्ष्य के लिए अलग-अलग ग्रुप का निर्माण किया।

8 मार्च, 1993: बबलू के घर फिर एक बैठक हुई जहां टाइगर मेमन ने लक्ष्यों को निर्धारित किया।

10 मार्च, 1993: मोबिन एलियास बायामूसा भिवांडीवाला के घर बैठक हुई। इसके बाद दूसरी बैठक में टाइगर मेमन ने ग्रुप के प्रत्येक व्यक्ति को 5000 रुपये दिए और फिर ग्रुप बनाए।

11 मार्च, 1993: माहिम की दरगाह स्ट्रीट पर अल हुसैनी बिल्डिंग में एक बैठक हुई, जहां योजना की बारिकीयां निर्धारित की गई। षड्यंत्र में शामिल अन्य लोगों ने अल-हुसैनी बिल्डिंग के गैराज में आरडीएक्स और विस्फोटक पदार्थ इकट्ठा किए।

12 मार्च, 1993: मुंबई में अलग-अलग जगहों पर विस्फोटक प्लांट किए गए। इसके बाद एक के बाद एक शहर में हुए 12 धमाकों ने मुंबई शहर को हिला कर रख दिया। इन धमाकों में 257 लोगों की जान चली गई और 713 लोग घायल हो गए।

तारीख दर तारीख ऐसे बढ़ा केस -

4 नवंबर, 1993: 189 लोगों के खिलाफ प्राथमिक चार्जशीट दर्ज की गई जिसमें फिल्म अभिनेता संजय दत्त भी शामिल था।

19 नवंबर, 1993: केस सीबीआई को सौंपा गया।

1 अप्रैल, 1994: टाडा कोर्ट शहरी सेशन और सिविल कोर्ट से अलग आर्थर रोड पर सेंट्रल जेल के अंदर एक इमारत में शिफ्ट की गई।

मार्च, 1995: पीडी कोडे को टाडा स्पेशल कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

अप्रैल, 1995: टाडा कोर्ट ने 26 आरोपियों को बरी कर दिया और बाकी बचे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दो और आरोपियों (अबु असीम आज़मी जो अभी सपा से सांसद है और अमजेद मेहर) को बरी कर दिया। 

अप्रैल, 1995: मामले में मुकदमा शुरू होता है

अक्टूबर, 2000: अभियोजन पक्ष के गवाहों की परीक्षा समाप्त हुई।

अगस्त 2001-अगस्त 2002: अभियोजन और बचाव पक्षों की बहस पूरी

2005: पुर्तगाल के अधिकारियों ने अबु सलेम के प्रत्यर्पण की मंज़ूरी इस शर्त पर दी कि उसे सिर्फ उम्रकैद या 25 साल से ज़्यादा की सज़ा नहीं दी जा सकती है।

10 अगस्त, 2006: जज कोडे ने कहा कि फैसला 12 सितंबर को सुनाया जाएगा।

12 सिंतबर, 2006: कोर्ट ने फैसला सुनाना शुरु किया और मेमन के परिवार के 4 लोगों को दोषी करार दिया, तीन आरोपियों को बरी किया।

4 दिसंबर, 2006: टाडा जज पीडी कोडे ने केस में अपना न्याय ख़त्म किया

27 जुलाई, 2007: विशेष अदालत ने याकूब मेमन को मृत्युदंड दिया।

19 अक्टूबर, 20102: पुर्तगाल ने भारत को बताता है कि गैंगस्टर और 1993 के मुंबई बम धमाकों के आरोपी अबू सलेम को वापस लौटने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि नवंबर 2005 में उनका प्रत्यर्पण तीन महीने पहले अपनी ही संविधान न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था।

21 मार्च, 2013: 1993 मुंबई बम धमाकों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद अभिनेता संजय दत्त वापस जेल आए। उन्हें सिलसिलेवार बम धमाकों के लिए अवैध तरीके से हथियार छुपाने के लिए दोषी ठहराया गया था।

5 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 45 वर्षीय कथित गैंगस्टर अबू सलेम का भारत प्रत्यर्पण वैध था बावजूद इसके कि बाद में पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत ने इसे समाप्त कर दिया था। इस फैसले से सलेम के खिलाफ 1993 मुंबई बम धमाके मामले समेत सभी केसों में ट्रायल का रास्ता खुल सका।

30 जुलाई, 2015: याकूब मेमन को फांसी दे दी गई। 

साल, 2013: कोर्ट ने सालेम के खिलाफ कुछ चार्ज ख़त्म कर दिए जिसमें सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि यह चार्ज पुर्तगाल के साथ भारत के बीच हुई संधि के खिलाफ है।

16 जून, 2017: मुस्तफा दौसा और अबु सलेम समेत 6 लोगों को बम धमाकों का षडयंत्र रचने और सिलसिलेवार बम धमाकों का दोषी करार दिया गया।

7 जून, 2017: टाडा कोर्ट ने अबु सलेम और करीमुल्लाह को उम्र कैद जबकि ताहिर मर्चेंट और फिरोज़ खान, अबदुल रशीद खान को फांसी की सज़ा सुनाई गई।

1993 Mumbai Blasts Gujrat ATS Munaf Halari Moosa Serial Blast in Mumbai 1993 Mumbai Blast Case
      
Advertisment