दिल्ली समेत पूरी दुनिया को झकझोर देने वाली निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट आज दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाएगा। बता दें कि दोषियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने मौत की सजा दी हैजिसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
पुनर्विचार याचिका पर तीन न्यायाधीशों सीजेआइ दीपक मिश्रा, आर भानुमति और अशोक भूषण की पीठ ने खुली अदालत में बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रखा था।
आइए जानते है निर्भया केस में अब तक कब-कब क्या-क्या हुआ
1-16 दिसंबर 2012 - इसी दिन दिल दहलाने वाली इस नापाक घटना को अंजाम दिया गया था। दिल्ली के मुनीरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। इस गैंगरेप में दर्दिंगी की सारी हदे पारी कर दी गई। जिस वक्त पीड़िता से बालात्कार हुआ उस वक्त उसका दोस्त भी उसके साथ बस में था जिसे दोषियों ने खूब मारा और बस से फेंक दिया।
18 दिसंबर 2012- इस मामले में दिल्ली पुलिस ने चार दोषियों जिनके नाम राम सिंह, मुकेश ,विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया।
21 दिसंबर 2012- इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली से 1 नाबालिग और बिहार से एक अन्य दोषी अक्षय को गिरफ्तार किया।
27 दिसंबर, 2012- सरकार ने मेडिकल छात्रा को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा, जहां उसे माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया.
29 दिसंबर 2012-सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान छात्रा की मौत हो गई।
3 जनवरी, 2013- पुलिस ने को पांच वयस्क दोषियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज कर चार्जशीट दाख़िल की। छठा दोषी जुवेनाइल था और उसे 31 अक्टूबर 2013 को जुवेनाइल बोर्ड ने गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया। उसको तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया।
10 सितंबर, 2013- फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को दोषी ठहराया।
13 सितंबर, 2013- कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई।
15 मार्च, 2014- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर रोक लगाई
20 दिसंबर, 2015- नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया। उसके रिहा होने के बाद लोगों का गुस्सा एक बार फिर देखने को मिला। लोग एक बार फिर सड़कों पर उतर गए।
27 मार्च 2016- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
5 मई 2017- सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को हाईकोर्ट द्वारा दी फांसी की सजा पर सहमति दर्ज करते हुए सजा को बरकार रखा।
9 नवंबर 2017- एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कऱ दिया।
और पढ़ें: एक साथ चुनाव पर बीजेपी को मिला SP, TRS और JDU का साथ, डीएमके ने बताया संविधान के खिलाफ
Source : News Nation Bureau