Independence Day Special: परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव की जुबानी, कारगिल युद्ध की कहानी

5 मई 1999 को योगेन्द्र की शादी हुई। 20 मई को योगेन्द्र को छुट्टी खत्म कर सेना ज्वाइन करने का आदेश मिला। शादी के केवल 15 दिन बाद!

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vineet kumar1
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Independence Day Special: परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव की जुबानी, कारगिल युद्ध की कहानी

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कहते हैं मुल्क तभी सुरक्षित रहते हैं, जबकि सीमाएं सुरक्षित हों! हमारी आपकी ख़ुशियाँ और आज़ादी भी मुल्क की सीमाओं के महफ़ूज़ रहने पर ही टिकी होती हैं, लेकिन जब पड़ोसी मुल्क लगातार युद्ध पर आमादा रहा हो तो क्या? ख़ासकर पाकिस्तान जैसा देश, जो लगातार भारत से मुक़ाबला करने का दुस्साहस करता रहा है। कई साल पहले हुआ करगिल युद्ध भी उन्हीं में से एक है। यूँ तो इस युद्ध के हीरो कई रहे लेकिन न्यूज़ नेशन ने उस बहादुर जवान से बात की, जिसकी भूमिका इस युद्ध में बेहद ख़ास और यादगार रही। यह कोई और नहीं बल्कि परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र यादव हैं, जिन्होंने 17 गोलियां खाकर भी हिम्मत नहीं हारी।

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मुल्क के दुश्मन को हराया और मौत को भी। योगेन्द्र उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता भी सेना में थे, लिहाजा बचपन से ही सेना में जाना उनका सपना रहा। बहुत कम उम्र में योगेन्द्र का सपना पूरा भी हुआ। महज 16—17 साल की उम्र में ही योगेन्द्र भारतीय सेना का हिस्सा बन चुके थे, लेकिन योगेन्द्र की किस्मत में मानों देश के लिए काफी कुछ लिखा था।

5 मई 1999 को योगेन्द्र की शादी हुई। 20 मई को योगेन्द्र को छुट्टी खत्म कर सेना ज्वाइन करने का आदेश मिला। शादी के केवल 15 दिन बाद!

योगेन्द्र यादव की टीम को टाइगर हिल पर कब्जा करने की जिम्मेदारी मिली। पहाड़ी पर मोर्चा संभाले दुश्मन को भनक ना लगे लिहाजा उनकी टीम ने करीब ढाई दिन में 90 डिग्री की खड़ी चढाई पूरी की।

ऊपर पहुंचते ही पाक सैनिकों ने योगेन्द्र की टीम पर जमकर फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन योगेन्द्र समेत उन 7 वीर जवानों ने अपने से करीब दोगुने पाक दुश्मनों को मौके पर ही ढेर कर दिया। मौके से भागने में कामयाब रहे एक दो पाक सैनिकों ने अपने कैंप में इस भारतीय हमले की जानकारी दी।

अगले आधे घंटे में योगेन्द्र यादव की टुकड़ी पर करीब 40 पाक सैनिकों ने भारी हमला बोल दिया। भारतीय जवानों के मुकाबले पाक सैनिक ना सिर्फ 5 गुना ज्यादा थे बल्कि ऊंचाई पर भी थे, लिहाजा योगेन्द्र और साथियों की मुश्किलें कहीं ज्यादा थी, लेकिन देश के लिए कुछ करने का ज़ज्बा लिए भारतीय जवानों ने दुश्मन से डटकर मुकाबला किया।

शहीद होते रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 7 भारतीय जवानों में योगेन्द्र संभवत अकेले जीवित बचे थे। शरीर दुश्मन की 17 गोलियों से छलनी था। पूरा शरीर खून से लथपथ था, लेकिन योगेन्द्र ने हार नहीं मानी।

दुश्मनों को ढेर कर योगेन्द्र ने ना सिर्फ अपने साथियों की शहादत का बदला ​लिया बल्कि देश पर हमले का बदला लिया और अपने अदम्य साहस की बदौलत भारतीय सेना के टाइगर हिल पर फतह करवाने में कभी ना भुलाने वाला योगदान दिया।

19 साल का ये नौजवान बिस्कुट के आधे पैकट और कुछ एक हथियारों के दम पर देश के दुश्मनों का काल बन गया। साबित किया कि युद्व खाली पेट भी लड़े जा सकते हैं और बिना हथियार भी, लेकिन बिना इच्छाशक्ति नहीं! इतना ही नहीं महीनों चले इलाज के बाद योगेन्द्र यादव ने फिर से सेना ज्वाइन की। आज भी सेना के लिए सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हैं। देश की आन, बान और शान योगेन्द्र यादव को न्यूज़ नेशन का सलाम।

आजादी के जश्न के मौके पर अनुराग दीक्षित के साथ न्यूज़ नेशन पर सुनिए करगिल की कहानी योद्वा योगेन्द्र यादव की ज़ुबानी।

Source : Anurag Dixit

yogendra yadav 15th August Special independence-day
      
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