पिछले महीने युद्धग्रस्त राष्ट्र पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद कम से कम 153 अफगान मीडिया संस्थानों ने 20 प्रांतों में परिचालन बंद कर दिया है।
टोलो न्यूज की सोमवार की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आउटलेट्स में रेडियो, प्रिंट और टीवी चैनल शामिल हैं और उनका बंद होना मुख्य रूप से आर्थिक समस्याओं और प्रतिबंधों के कारण हुआ है।
टोलो न्यूज ने अफगानिस्तान फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उप प्रमुख हुजतुल्लाह मुजाददी के हवाले से कहा, अगर मीडिया का समर्थन करने वाले संगठन आउटलेट्स पर ध्यान नहीं देते हैं, तो जल्द ही हम देश में शेष आउटलेट्स को बंद होते देखेंगे।
अफगानिस्तान नेशनल जर्नलिस्ट्स यूनियन के प्रतिनिधि मसरूर लुत्फी ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। वरना जल्द ही यह प्रेस की स्वतंत्रता और अन्य मानव और नागरिक स्वतंत्रता का अंत होगा।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पक्तिका स्थित मिल्मा रेडियो उन आउटलेट्स में से एक है जिसने हाल ही में अपनी गतिविधियों को बंद कर दिया है।
यह 2011 में स्थापित किया गया था और इसमें राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और खेल कहानियों को शामिल किया गया।
मिल्मा रेडियो के प्रधान संपादक याकूब खान मंजूर ने कहा, अनुचित काम करने के माहौल और आर्थिक समस्याओं के कारण, हमने अपनी गतिविधियों को रोक दिया।
मंजूर के मुताबिक, मिल्मा रेडियो के 35 कर्मचारी हैं, जिनकी पहुंच 13 प्रांतों तक है। अब सभी पूर्व कर्मचारी बेरोजगार हैं।
अफगानिस्तान में मुक्त मीडिया का समर्थन करने वाले संगठनों का कहना है कि आर्थिक समस्याएं गंभीर हैं और प्रतिबंधों के तहत काम करना मीडिया के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा करता है।
तालिबान ने हालांकि कहा है कि वे मीडिया और पत्रकारों के लिए अपनी नौकरी जारी रखने के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश करेंगे।
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Source : IANS