केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लागू किए जाने वाले 13 प्वाइंट रोस्टर पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि इसे खत्म करने के लिए सरकार अध्यादेश भी ला सकती है. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि सरकार आरक्षण के पक्ष में है, कोर्ट द्वारा प्रतिपादित विभागवार आरक्षण सही नहीं है. बता दें कि विश्वविद्लायों में 13 प्वाइंट रोस्टर को लेकर लागू किए जाने के कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम), समाजवादी पार्टी (सपा) सहित कई राजनीतिक पार्टियां और संगठन इसका विरोध कर रहे थे और सरकार पर इसे हटाने का दबाव बना रहे थे.
जावड़ेकर ने कहा, 'सरकार आरक्षण के पक्ष में है. कोर्ट के द्वारा प्रतिपादित विभागवार आरक्षण सही नहीं है क्योंकि इससे एससी/एसटी और ओबीसी का आरक्षण खत्म हो जाता है. हम इस पर पुनर्विचार करने जा रहे हैं. अगर यह काम नहीं करता है तो हम अध्यादेश लाएंगे और न्याय देंगे.'
बता दें कि 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को लेकर संसद का बजट सत्र काफी हंगामेदार रहा है. संसद में विपक्षी सदस्यों का कहना है कि नए नियम से ओबीसी वर्गों के हितों को नुकसान पहुंचेगा क्योंकि इस नियम से कुल पदों में भारी कमी आएगी.
विपक्षी पार्टियों ने सरकार से एक विधेयक लाने की मांग की, जिसमें विश्वविद्यालय फैकल्टी में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए पर्याप्त कोटा सुनिश्चित करने और नए 13 प्वाइंट रोस्टर पर अदालत के आदेश को अस्वीकार करने की मांग की जा रही थी.
और पढ़ें : गुजरात दंगा: SC ने नरेन्द्र मोदी के क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका जुलाई तक स्थगित की
अदालत के आदेश के अनुसार, फैकल्टी पदों में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण का निर्णय विश्वविद्यालय के प्रत्येक विभाग के अनुसार अलग से किया जाएगा. इससे पहले फैकल्टी नियुक्ति में पूरे विश्वविद्यालय को एक एकल इकाई (सिंगल यूनिट) माना जाता था, जिसे 200 प्वाइंट रोस्टर भी कहा जाता है.
इस मामले पर जावड़ेकर ने पहले भी कहा था कि नए 13-प्वाइंट रोस्टर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद आया है, सरकार ने पहले ही मामले में समीक्षा याचिका दाखिल कर दी है.
और पढ़ें : SSC CHSL के लिए कस लीजिए कमर, जानें क्या है सिलेबस और एग्जाम पैटर्न
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साल 2017 में यूजीसी द्वारा शैक्षणिक पदों पर भर्ती के लिए संस्थान के आधार पर आरक्षण का निर्धारण करने के सर्कलुर को खारिज कर दिया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई थी.
हालांकि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को यथावत रखा और यूजीसी को विभाग के आधार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित पदों के लिए सर्कुलर जारी करने को कहा था.
देश की अन्य ताज़ा खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें... https://www.newsstate.com/india-news
Source : News Nation Bureau