नाबालिग होने के बाद भी आगरा की सेंट्रल जेल में पिछले 14 से 22 साल से बंद 13 कैदियों की रिहाई को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया गया है. याचिका में इन कैदियों की रिहाई की मांग की गई है. घटना के वक्त सभी दोषियों को नाबालिग घोषित किया जा चुका है. सभी कैदी उत्तर प्रदेश की आगरा जेल में बंद हैं. इन दोषियों को खूंखार कैदियों के साथ रखा गया है. अपराध के समय इन सभी की आयु 18 वर्ष से कम थी.
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याचिकाकर्ता के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि वर्ष 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद किशोर न्याय बोर्ड को कैदियों की किशोरावस्था से संबंधित आवेदनों का निपटारा करने के निर्देश दिए गए थे. इन सभी 13 याचिकाकर्ताओं को अपराध किए जाने के समय नाबालिग घोषित किया गया था. यानी बोर्ड ने पाया कि अपराध के समय इन सभी की आयु 18 वर्ष से कम थी. जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
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8 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई
कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा फरवरी, 2017 से मार्च, 2021 के बीच याचिकाकर्ताओं को किशोर घोषित करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन सभी को रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. साथ ही यह भी ध्यान देने का बात है कि बोर्ड के इन फैसलों को चुनौती भी नहीं दी गई है. याचिका में कहा गया है कि यह उत्तर प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक स्थिति को दर्शाता है. याचिका में कहा गया, 'इससे भी दुखद पहलू यह हैं कि आगरा सेंट्रल जेल में बंद ये याचिकाकर्ता 14 साल से 22 साल तक जेल में गुजार चुके हैं. इन सभी 13 याचिकाकर्ताओं को अपराध किए जाने के समय नाबालिग घोषित किया गया था. यानी बोर्ड ने पाया कि अपराध के समय इन सभी की आयु 18 वर्ष से कम थी. जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
Source : News Nation Bureau